आप सभी भगवान शिव के हरिहर रूप से वाकिफ होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने यह रूप क्यों धारण किया था? अगर नहीं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसके पीछे की कथा। जी दरअसल भगवान शिव के हरिहर रूप के बारे में स्कंद पुराण में उल्लेख किया गया है। इसे लेकर एक कथा प्रचलित है। जो इस प्रकार है - एक बार शिव और विष्णु के भक्त आपस में लड़ने लगे। इनकी लड़ाई की वजह शिव और विष्णु की श्रेष्ठता को लेकर थी। शिव भक्तों का मानना था कि भोले बाबा के पास ज्यादा शक्तियां हैं और वह ही इस ब्रंहाण्ड में सर्वशक्तिमान हैं।
दूसरी तरफ, विष्णु भक्त हरि को ही सर्वशक्तिशाली मान रहे थे। शिव और विष्णु के भक्तों में इस पर विवाद बढ़ता ही गया। शिव और विष्णु जी के भक्त इस विवाद को लेकर शंकर जी के पास गए। शंकर जी को यह विवाद बेतुका लगा। शिव जी इन भक्तों को सत्य का ज्ञान कराना चाहते थे। शिव ने सोचा कि भक्तों में देवतागण को लेकर ऐसा कोई विवाद नहीं होना चाहिए। इस पर शिव जी ने हरिहर रूप धारण किया।
इस रूप में आधे शिव तो आधे विष्णु जी थे। इसे देखकर भक्त हैरान रह गए। भक्तों को समझ में आ गया कि शिव और विष्णु में अपनी शक्ति को लेकर कभी विवाद नहीं होगा। देवतागण एक-दूसरे के पूरक हैं।
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