मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना से मौत की रफ्तार धीमी है, लेकिन जिन लोगों की भी अभी तक मृत्यु हुई है, सभी की रिपोर्ट मौत के बाद पॉजिटिव निकली है. 70 वर्षीय रज्जाक कुरैशी भोपाल के पुतलीघर के रहने वाले थे. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल हमिदिया में 22 अप्रैल को उनकी मौत हो गई. शुक्रवार को उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है. रज्जाक कुरैशी के बेटे ने कहा है कि वह बल्डप्रेशर और डायबिटिज के मरीज थे.
बता दें की 1984 के गैस पीड़ितों का शरीर कोविड-19 से लड़ने में सक्षम नहीं है. उस खतरनाक हादसे में उनके फेफड़े और अन्य अंग क्षतिग्रस्त हो गए हैं. साथ ही उनकी इम्यूनिटी भी कमजोर हो गई है. ऐसे में ये लोग कोरोना की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं. ज्यादातर गैस पीड़ित कोरोना के हॉटस्पॉट वाले इलाके में ही रहते हैं. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में भोपाल गैस पीड़ितों के लिए बने अस्पताल बीएमएचआरसी को निर्देशित किया है कि यहां इलाज के लिए आने वाले हर मरीजों का वायरस टेस्ट हो, ताकि समय पर उनका इलाज हो पाए. जब कोर्ट ने यह आदेश दे दिया था, उस समय तक कोरोना से 7 गैस पीड़ितों की मौत हो चुकी थी. साथ ही उनका इलाज बिना यह जाने चल रहा था कि उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण था. इसलिए कोर्ट ने अस्पताल को एहतियात बरते हुए उपचार की सुविधा शीघ्र प्रदान करने को कहा था.
जानकारी के लिए बता दे की भोपाल गैस कांड दुनिया की सबसे भयानक औद्योगिक दुर्घटना है. भोपाल स्थित यूनियन कर्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से 3 दिसंबर 1984 को एक जहरीली गैस का रिसाव हुआ, जिसमें 15000 लोगों की मौत हो गई थी. लेकिन सरकारी फाइलों में सिर्फ 3787 लोगों की मौत का ही जिक्र किया गया है. हजारों लोग इससे बुरी तरह प्रभावित भी हुए थे.
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