भोपाल : मध्य प्रदेश में कोरोना का कहर ठहरने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं कोरोना को हराकर एम्स से 14 दिन बाद घर पहुंचे रेलगार्ड आरएस धाकड़ का कहना है की रेलवे में नौकरी के दौरान यह बताया जाता है कि कुछ भी घटना हो जाए पर धैर्य नहीं खोना चाहिए. ट्रेन पटरी से उतर जाए तो तो भी घबराना नहीं धैर्य से काम लेना है. गोल्डन ऑवर में एक-एक पल का उपयोग करना है. रेलवे की यह सीख कोरोना संक्रमित होने के बाद काम आई है. मुझे बिल्कुल डर नहीं लगा. घर की तरह अस्पताल में भी एक घंटे व्यायाम करता था.
दरअसल वह भोपाल में कोरोना से संक्रमित होने वाले तीसरे मरीज थे. इसके पहले प्रोफेसर कॉलोनी के रहने वाले कोरोना संक्रमित पिता-पुत्री एम्स में इलाज के बाद सकुशल घर पहुंच चुके हैं. धाकड़ को 27 मार्च को एम्स में भर्ती कराया गया था. उन्होंने बताया कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनकी दिनचर्या बेहतर हो गई थी.
बता दें की वह सुबह छह बजे उठने के बाद महामृत्युंजय और गायत्री मंत्र का जाप और इसके बाद व्यायाम. इसमें दो घंटे लगते थे. इसके बाद चाय-नाश्ता. फिर न्यूज देखते थे. यूट्यूब में गाना सुनते रहते थे, तब तक दोपहर के भोजन का समय हो जाता था. भोजन के बाद एक-दो घंटे के लिए आराम. शाम को भी मंत्रों का जाप और गाने सुना करते थे. रेलवे की नौकरी में इतनी व्यस्तता रहती थी कि सोचकर भी महामृत्युंजय और गायत्री मंत्र का जाप नहीं कर पाया. यह काम कोरोना की बीमारी के दौरान कर लिया. उन्होंने कहा कि एम्स भोपाल में प्रदेश के किसी भी निजी अस्पताल से कम सुविधा नहीं है. हर दिन बदल-बदल कर खाना, जरूरत पर गुनगुना पानी दिया जाता था. वहां का स्टाफ बहुत अच्छा है. डायरेक्टर डॉ. सरमन सिंह सभी कोरोना मरीजों की व्यक्तिगत तौर पर रोज जानकारी अपने डॉक्टरों से लेते हैं.
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