नई दिल्ली: 1984 में हुई भोपाल गैस त्रिासदी के पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजे के तौर पर 7844 करोड़ रुपए मिलेंगे या नहीं ? इसको लेकर आज सर्वोच्च न्यायालय अपना फैसला सुनाने वाला है। वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को और अधिक मुआवजा देने के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन की उत्तराधिकारी फर्मों से अतिरिक्त 7844 करोड़ रुपए की मांग करने वाली याचिका केंद्र सरकार की तरफ से दाखिल की गई थी।
आज न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के नेतृत्व वाली 5 जजों की संविधान पीठ इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेके महेश्वर की बेंच ने भी 12 जनवरी को केंद्र की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले 12 जनवरी को हुई सुनवाई में UCC की उत्तराधिकारी फर्मों ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि भारत सरकार ने निपटान के समय कभी भी यह सुझाव नहीं दिया था कि मुआवजा अपर्याप्त था। वकील ने इस बात पर जोर दिया कि वर्ष 1989 के बाद से रुपए का अवमूल्यन भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए अब मुआवजे की मांग का आधार नहीं बन सकता। इस मामले पर विस्तृत सुनवाई के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बता दें कि केंद्र सरकार वर्ष 1989 में समझौते के तहत अमेरिकी कंपनी से मिले 470 मिलियन अमरीकी डॉलर (715 करोड़ रुपए) के अलावा UCC की उत्तराधिकारी फर्मों से मुआवजे के तौर पर 7844 करोड़ रुपए चाहती है। केंद्र सरकार इस बात पर जोर देती रही है कि वर्ष 1989 में बंदोबस्त के वक़्त मानव जीवन और पर्यावरण को हुए वास्तविक नुकसान का ठीक से आकलन नहीं किया गया था।
भोपाल गैस कांड: वॉरेन एंडरसन का देश से फरार होना
1984 की काली रात का भोपाल गैसकांड को कोई भी भारतीय नहीं भूल सकता। जब पूरे शहर पर मौत पसर गई थी। जो घरों में सो रहे थे, उनमें से हजारों सोते ही रह गए, भोपाल की यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव होने लगा। जिससे देखते ही देखते हजारों लोग इसकी चपेट में आ गए। चंद घंटों में 15000 जीवित मनुष्य, लाश बन गए। ये तो सरकारी आंकड़े थे, वास्तविक मौतें इससे कई गुना अधिक थी। भोपाल गैस कांड के चार दिन बाद 7 दिसंबर को यूनियन कार्बाइड के मालिक वारेन एंडरसन भोपाल पहुंचा, वहां उसे अरेस्ट भी कर लिया गया। किन्तु महज 25 हजार रुपए में उसे जमानत दे दी गई। उसे यूनियन कार्बइड के भोपाल गेस्ट हाउस में नजरबंद रखा गया था, मगर अंदर ही अंदर पूरा सिस्टम उसे भागने में मदद कर रहा था। रातों रात एंडरसन को एक सरकारी विमान द्वारा भोपाल से दिल्ली लाया गया।
दिल्ली मे वह अमेरिकी राजदूत के आवास पर पहुंचा और फिर वहां से एक प्राइवेट एयरलाइंस से मुंबई और मुंबई से अमेरिका रवाना हो गया। मध्य प्रदेश के पूर्व विमानन निदेशक आरएस सोढ़ी ने इसे लेकर एक बयान भी दिया था, जिसमे उन्होंने कहा था कि उनके पास एक फोन आया था जिसमें भोपाल से दिल्ली के लिए एक सरकारी विमान तैयार रखने को कहा गया था। इसी विमान में बैठकर एंडरसन दिल्ली पहुंचा था। उस समय भोपाल के पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी एंडरसन को विमान में चढ़ाने के लिए खुद गए थे। उस समय मध्य प्रदेश के सीएम अर्जुन सिंह थे और राजीव गाँधी पीएम थे। अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के खुफिया दस्तावेजों के अनुसार, हज़ारों लोगों की मौत के जिम्मेदार एंडरसन की रिहाई के आदेश खुद राजीव गांधी सरकार ने दिए थे।
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