आज हम आपको भोपाल की एक ऐसी लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं जो गुस्सा आने पर शरीर पर टैटू गुदवाती है। सुनकर आपको यकीन तो नहीं हो रहा होगा लेकिन यह सच है। जी दरअसल जिस लड़की के बारे में हम बात कर रहे हैं वह 27 साल की युवती है और उसे जब भी गुस्सा आता है वह अपना गुस्सा मिटाने के लिए शरीर पर टैटू गुदवाती है। मिली जानकारी के तहत लड़की पुराने शहर की रहने वाली है और गुस्से में टैटू बनवाने के लिए पहुँच जाती है।
बताया जा रहा है ढाई-तीन साल से उसके व्यवहार में बदलाव आया है, लेकिन 6 महीने से उसे टैटू बनवाने की सनक सवार हो गई है। लड़की के हाथ, पैरों और शरीर के दूसरे हिस्सों पर 6 महीने में ही 70 टैटू बन चुके हैं और उसकी मनोदशा से परेशान परिजन उसे मनोचिकित्सक को दिखा रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार युवती का इलाज कर रहे मनोचिकित्सक डॉ। सत्यकांत त्रिवेदी का कहना है कि वह तनाव आने पर अपने शरीर पर परमानेंट टैटू बनवा लेती थी। वहीं काउंसिलिंग के दौरान पता चला कि टैटू से मिलने वाला दर्द उसे अपने होने का एहसास कराता है। जी हाँ और दूसरी तरफ युवती ने खुद भी यह माना है कि उसकी टैटू बनवाने की आदत उसकी सेहत के लिए ठीक नहीं है, क्योंकि वह आवेश (impulsivity) में ऐसा करती है। हालाँकि वह इस गुस्से के बाद टैटू बनवाने की सनक से बाहर आना चाहती है।
इस मामले में डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी ने बताया कि ''युवती अपने शरीर पर अजीबोगरीब आर्ट बनवाती है। कहीं पिस्टल, कहीं सांप, जंजीर, तो कहीं मकड़ी। टैटू का डिजाइन भी वह बनाकर ले जाती है। हर बार के गुस्से में उसके शरीर पर एक नया टैटू बना दिखता है। सबसे खास बात यह है कि वह अपनी बॉडी पर परमानेंट टैटू बनवा रही है।'' आगे डॉ. त्रिवेदी ने बताया कि ''वैसे तो टैटू का अपने शरीर पर गुदवाना मानव सभ्यता में हजारों सालों से है। समय के साथ इसके उद्देश्य में काफी बदलाव आया है और समाज में हुए बदलावों का साक्षी रहा है। पहले दुरात्माओं, कैदियों, अपराधियों को गोद दिया जाता था, लेकिन आज के समय में यह स्टेटस सिंबल बन चुका है। हालांकि मनोचिकित्सकों का मानना है कि कई मानसिक अवस्थाओं में भी लोग टैटू बनवाते हैं।''
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