भोपाल : बिजली बिलों में हो रही गड़बड़ी से मध्य प्रदेश के बिजली उपभोक्ता लम्बे अर्से से परेशान हैं.जितनी बिजली की खपत नहीं होती उससे ज्यादा के बिल दिए जाते हैं. ठेके पर बिजली मीटरों की रीडिंग करवाने वाली कम्पनी के कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है.फर्जी रीडिंग की लाखों शिकायतों से खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चिंतित है.यह समस्या कहीं अगले साल चुनावी मुद्दा न बन जाये इसलिए इसे रोकने के लिए ऊर्जा विभाग मीटर के पास कार्ड रखकर पर उस पर इंट्री की व्यवस्था लागू करने जा रहा है.
गौरतलब है कि एमपी में बिलों में गड़बड़ी की शिकायतें लगातार बढ़ रही है. जून में ऊर्जा विभाग के लगे शिविर में एक लाख 10 हजार शिकायतें मिली थीं. इनमें फर्जी रीडिंग की शिकायतें बहुत ज्यादा थीं. इनमें से बिजली विभाग 40 हजार का ही निपटारा कर सका. यह शिकायतें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक पहुंची. उन्होंने बिजली विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाकर व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए, क्योंकि सरकार को लग रहा है कि कहीं ऐसा न हो कि यह मामला आगामी विधान सभा चुनाव में मुद्दा बन जाए और लोगों के विरोध का सामना करना पड़ जाए .
बता दें कि सीएम की फटकार के बाद हरकत में आते हुए बिजली विभाग अब नई व्यवस्था बना रहा है. इसके लिए विभाग पुराना कार्ड सिस्टम को फिर अपनाने जा रहा है, ताकि बिजली वितरण कंपनियों तक सही रीडिंग पहुंच सके. सही बिल बनें और इसका रिकॉर्ड कंपनियों के अलावा उपभोक्ताओं के पास भी रहे.
नई व्यवस्था में बिजली विभाग एक कार्ड मीटर के पास रखेगा. तय तारीख को रीडिंग होगी, जिसकी इंट्री कार्ड में भी दर्ज की जाएगी.इस पर रीडर और उपभोक्ता दोनों हस्ताक्षर करेंगे, ताकि सही रीडिंग और रीडर के आने की भी पुष्टि हो सके. रीडर जोन कार्यालय में जाकर रीडिंग दर्ज कराएगा और इसके बाद बिल बनेगा. बता दें कि ये व्यवस्था 90 के दशक में राज्य में लागू थी.
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