वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में छात्राओं पर लाठी चार्ज के बाद जमकर हंगामा मचा। हालांकि इस मामले में कमिश्नर द्वारा जाॅंच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई है। जिसमे योगी सरकार से केंद्र सरकार और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी इस घटनाक्रम की जानकारी ली थी। जिसके बाद लाठीचार्ज की नैतिक जिम्मेदारी चीफ प्राॅक्टर ओएन सिंह ने ली और अपना इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा कुलपति जीसी त्रिपाठी से स्वीकृत कर लिया है।
दूसरी ओर इस मामले में राजनीति तेज हो गई है, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल सत्ताधारी भाजपा पर दबाव बना रहे हैं, विरोधियों ने कुलपति को हटाने की मांग की है। इसके पहले कुलपति को मानव संसाधन विकास मंत्रालय में तलब किया गया था। वाराणसी कमिश्नर नितिन गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट में विश्वविद्यालय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि, विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्थिति बिगड़ने पर उपयुक्त निर्णय नहीं लिया।
इस बीच,कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने अपने बचाव में कहा कि कार्रवाई उन लोगों पर की गई, जो विश्वविद्यालय की संपत्ति को आग लगा रहे थे। उन्होंने मिडिया से बातचीत में छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज और परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने की बात को झुठलाते कहा कि प्रधानमंत्री के दौरे को प्रभावित करने के लिए बाहरी तत्वों ने कैम्पस का माहौल बिगाड़ा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कैम्पस में पेट्रोल बम फेंक रहे थे,पत्थरबाजी कर रहे थे। किसी भी छात्रा पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई का एक भी प्रमाण नहीं है।
कुलपति ने कहा,23 सितंबर की रात लगभग 8.30 बजे जब मैं छात्राओं से मिलने त्रिवेणी छात्रावास जा रहा था,उस समय अराजक तत्वों ने मुझे रोककर आगजनी और पत्थरबाजी शुरू कर दी। कुलपति ने कहा कि पीड़ित छात्रा और उसकी सहेलियों के साथ उन्होंने दो बार मुलाकात की। छात्राओं ने उन्हें बताया था,कि धरने का संचालन खतरनाक किस्म के अपरिचित लोग कर रहे हैं। उन लोगों ने पीड़ित छात्रा को धरना स्थल पर बंधक बनाकर जबरन बिठाए रखा था। पुलिस ने ऐसे तत्वों को कैम्पस से बाहर करने के लिए ही बल प्रयोग किया। विश्वविद्यालय प्रशासन अब इस मामले में न्यायिक जाॅंच करने की मांग कर रहा है।
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