रायपुर: छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी के सीएम भूपेश बघेल ने रविवार (मई 8, 2022) को भाजपा और राष्ट्रीय सेवक संघ (RSS) पर हमला बोलने के चक्कर में भगवान श्रीराम और हनुमान पर विवादित टिप्पणी कर डाली है। सीएम बघेल ने भाजपा-RSS को निशाना बनाने के चक्कर में भगवान श्रीराम को रैंबो कह डाला, साथ ही उन्होंने हनुमान जी को क्रोध का प्रतीक बता दिया। बघेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत इस वक़्त ‘भड़काऊ और आक्रमक राष्ट्रवाद’ के दौर से गुजर रहा है जहाँ किसी आपत्ति या असहमति के लिए कोई स्थान नहीं है।उन्होंने कहा कि ये दौर एक वक़्त के बाद गुजर जाएगा और कांग्रेस की दोबारा सत्ता वापसी होगी।
बघेल ने आगे कहा कि, 'राम हमारी संस्कृति में समाए हुए हैं। राम साकार और निराकार दोनों हैं, हमने राम को अलग-अलग रूपों में स्वीकार किया है। हम कबीर के राम, तुलसी के राम और शबरी के राम को जानते हैं। राम प्रत्येक भारतीय के दिल और दिमाग में रहते हैं। कार्यकर्ताओं ने राम को एक रूप में स्वीकार किया है, किसान उनका दूसरा रूप देखते हैं, वहीं आदिवासी उनका एक अलग ही रूप देखते हैं, बुद्धिजीवी और भक्त उन्हें दूसरे रूप में देखते हैं।' बघेल ने कहा कि, 'महात्मा गाँधी भी राम को मानते थे। उनके अंतिम शब्द ही ‘हे राम’ थे। वे रघुपति राघव राजा राम का पाठ करते थे। मगर आज भाजपा और संघ जिस प्रकार से राम को देखते हैं और जो एजेंडा तय कर रहे हैं, उन्होंने उन राम को बदल दिया है जो ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ थे और प्रत्येक भक्त के दिलों में प्रेम के प्रतीक के रूप में रहते हैं।'
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि भाजपा-RSS ने राम को लड़ाकू रैम्बो बना दिया है। इसी तरह हनुमान नम्रता, भक्ति और ज्ञान के प्रतीक हैं। मगर आज उनके पोस्टर आक्रमक हैं। अगर आप हनुमान जी के पुराने चित्रों को देखें, तो देखेंगे कि भगवान काफी सुंदर थे, भक्ति और ध्यान मुद्रा में थे। लेकिन आज वह क्रोधित और आक्रामक हैं। जिस प्रकार से वे समाज की मानसिकता को स्थापित कर रहे हैं उन्होंने पहले राम को आक्रमक दिखाया और अब हनुमान के साथ ऐसा कर रहे हैं। हमारा राम कबीर और तुलसी का है, आदिवासियों, किसानों और मजदूरों के हैं राम- सौम्य राम जो सर्वव्यापी हैं।'
भाजपा पर हमला बोलते हुए सीएम बघेल ने कहा कि इस पार्टी के राष्ट्रवाद का विचार आयात किया हुआ है। बीएस मुंज का नाम लेते हुए उन्होंने सवाल किया कि, 'मुसोलिनी से कौन मिला था, वह बीएस मुंज थे, ड्रम, टोपी, सब कुछ आयात किया हुआ है। इनके राष्ट्रवाद में असहमति और आपत्ति के लिए स्थान नहीं है। हमारा राष्ट्रवाद बिलकुल अलग था। हम शुरुआत से ही परंपराओं से जुड़े रहे, जिसका विकास शंकराचार्य, कबीर, गुरु नानक, रामकृष्ण परमहंस द्वारा हुआ।'
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