नई दिल्ली: भारत इन दिनों अपने पड़ोसी मुल्कों से बुरी तरह जूझ रहा है. वो चाहे नेपाल हो या पाकिस्तान या बांग्लादेश हो या चीन. तमाम विपरीत परिस्थितियों में भूटान और भारत के रिश्ते, इस मामले में बिल्कुल ही अलग रहे हैं, किन्तु अब यहां से भी सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा. कुछ ही महीने पहले भूटान ने सैलानियों के तौर पर आने वाले भारतीयों से भी हर दिन हजार रुपये से अधिक शुल्क लेने का फैसला किया था. वहीं, असम के बक्सा जिले के किसान भूटान की तरफ पानी रोके जाने से चिंतित हैं.
कोरोना वायरस के कारण भूटान सरकार ने देश के अंदर किसी बाहरी की एंट्री बैन कर दी है और भारतीय किसानों को भूटान से निकलने वाली नदियों के पानी का उपयोग करने से रोक दिया है. बक्शा जिले के 26 से अधिक गांवों के 6000 से ज्यादा किसान सिंचाई के इसी स्रोत (स्थानीय इसे डोंग कहते हैं) पर आश्रित हैं. 1953 के बाद से ही यहाँ के किसान अपने धानों के खेतों की सिंचाई भूटान से निकलने वाली नदियों के पानी से करते रहे हैं. हालांकि, भूटान की ओर से अचानक पानी रोके जाने के बाद भारतीय किसान काफी आक्रोश में हैं.
बक्शा जिले के किसान सहित सिविल सोसायटी के सदस्यों ने भी सोमवार को इसके विरुद्ध विरोध-प्रदर्शन किया और भूटान सरकार के पानी रोके जाने के फैसले को लेकर चिंता जाहिर की. प्रदर्शनकारियों ने कई घंटों तक रोंगिया-भूटान सड़क को भी जाम रखा.
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