नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के विधानसभा चुनाव के कार्य्रकम की घोषणा हो चुकी है. इन पांच राज्यों में 10 फरवरी से मतदान शुरू होने वाले हैं. वहीं, कोरोना संकट के दौर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म चुनाव के प्रचार का एक बड़ा प्लेटफार्म बन चुका है. ऐसे में माइक्रोब्लॉगिंग साइट Twitter ने भी विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. कंपनी का कहना है कि उन्होंने नागरिकों को सशक्त करने के लिए नई पहल शुरु की है, जिससे लोगों को मतदान करने से पहले उनके अधिकारों के बारे में जानकारी मिलेगी.
दरअसल, Twitter ने ढेर सारे हैशटैग जारी किए हैं, जिससे लोगों को चुनाव के संबंध में जानकारी मिलेगी. साथ ही प्लेटफॉर्म की तरफ से कस्टमाइज्ड इमोजी लॉन्च की जाएगी, जो मतदान के दिन रिमाइंडर्स के लिए लोगों को खुद से साइन-अप करने की अनुमति देगी. इसके साथ ही एक वोटर एजुकेशन क्विज के माध्यम से लोगों को जोड़ा जाएगा, जिसका संचालन चुनाव आयोग करेगा. इससे लोगों को चुनाव के संबंध में रीयल टाइम जानकारी मिलेंगी.
Twitter India एक्जीक्यूटिव, पायल कामत ने कहा कि, 'क्या हो रहा है, यही Twitter है और सियासी व नागरिक महत्व की घटनाओं को हमेशा चर्चा के लिए यहाँ जगह मिलती है. पब्लिक डिसकोर्स इन बातचीत से निर्धारित होते हैं और हम उस जिम्मेदारी को जानते हैं जो हम पर आती है कि जब लोग वोट करने जाएं तो उन्हें विश्वसनीय और प्रामाणिक जानकारी मिलती रहे. इसके लिए हम आधिकारिक अथॉरिटीज के साथ साझेदारी पर काम कर रहे हैं.' हालांकि, यहां ये भी गौर करने वाली बात है कि Twitter पर खुद कई बार पक्षपाती होने के आरोप लगते रहे हैं,हाल ही में Twitter ने ‘द न्यू इंडियन’ नामक मीडिया संस्था की संस्थापक और मुख्य संपादक आरती टिक्कू का अकाउंट बंद कर दिया था।
क्या हुआ था आरती के साथ ?
आरती की गलती बस ये थी कि, उन्होंने अपने भाई साहिल टिक्कू को लेकर एक ट्वीट किया था कि श्रीनगर में रह रहे उनके भाई की जान को आतंकियों से खतरा है, जिसके लिए उन्होंने Twitter पर मदद मांगी थी। लेकिन Twitter ने टिक्कू के अकाउंट पर प्रतिबंध भी लगा दिया था और उन्हें अपना ट्वीट डिलीट करने के लिए दबाव बनाया था। इसके बाद आरती टिक्कू ने Twitter द्वारा अपना अकाउंट सस्पेंड करने के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने Twitter के फैसले को निरस्त करने की माँग करते हुए याचिका दाखिल की है। इसमें उन्होंने कहा है कि संविधान के तहत उनके अधिकारों का उल्लंन किया गया है। ऐसे में खुलेआम आतंकियों का साथ देने वाले Twitter पर ये विश्वास कैसे किया जाए कि वो भारत में हो रहे चुनावों को लेकर निष्पक्ष रहेगा।
बांग्लादेश हिंसा पर भी दबाई पीड़ित हिन्दुओं की आवाज़ :-
जब प्रशासन या मेन स्ट्रीम मीडिया आपके लिए आवाज़ न उठा रहा हो, या आप पर हो रहे जुल्म को न दिखा रहा हो, तब आज के समय में सोशल मीडिया को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है, ताकि आप अपने साथ हो रहे अत्याचार को दुनिया के सामने रख सकें और कहीं से मदद की उम्मीद कर सकें। बांग्लादेश के हिन्दुओं ने भी यही किया था। दुर्गा पूजा के दौरान 2021 में जब बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले हुए, उनके घर जला दिए गए, हत्याएं की गईं, उनकी महिलाओं के साथ वीभत्स बलात्कार हुए, तो वहां का मीडिया खामोश रहा। तो इस्कॉन बांग्लादेश और बांग्लादेश हिन्दू यूनिटी काउंसिल ने अपने ट्विटर हैंडल से दुनिया को पीड़ित हिन्दुओं की तस्वीरें बताना शुरू किया, लेकिन Twitter ने उन दोनों के अकाउंट को सस्पेंड कर दिया। वहीं दूसरी तरफ देखा जाए तो अफगानिस्तान में हज़ारों लोगों की हत्या करने वाले आतंकी संगठन तालिबान के नेताओं के अकाउंट सस्पेंड करने से Twitter ने साफ इंकार कर दिया था। जबकि भड़काऊ बयानबाज़ी को लेकर यही Twitter कंगना रनौत का अकाउंट सस्पेंड कर चुका है। ऐसे में ये विश्वास करना सरासर गलत है कि चुनाव में Twitter का दखल निष्पक्ष होगा।
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