बाइडेन की दोहरी चाल..! उधर सोरोस को सर्वोच्च सम्मान, इधर पीएम मोदी को रिश्ते सुधारने का पत्र

बाइडेन की दोहरी चाल..! उधर सोरोस को सर्वोच्च सम्मान, इधर पीएम मोदी को रिश्ते सुधारने का पत्र
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन से मुलाकात की। इस बैठक के दौरान पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा सुलिवन को सौंपे गए पत्र की सराहना की। जेक सुलिवन ने कहा कि भारत और अमेरिका की ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप ने हाल के वर्षों में नई ऊंचाइयां छुई हैं और भारत, इस संबंध को और आगे बढ़ाने के लिए तत्पर है।

सुलिवन, जो कि अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने से महज दो हफ्ते पहले भारत यात्रा पर आए हैं, ने पीएम मोदी से मुलाकात के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी बात की और पिछले चार वर्षों में भारत-अमेरिका संबंधों में हुई प्रगति पर चर्चा की। इन क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी, रक्षा, अंतरिक्ष, असैन्य परमाणु, स्वच्छ ऊर्जा, सेमीकंडक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शामिल हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मुलाकात के दौरान 'एक्स' (पूर्व ट्विटर) पर तस्वीरें साझा करते हुए कहा कि भारत-अमेरिका ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप ने टेक्नोलॉजी, रक्षा, बायोटेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे प्रमुख क्षेत्रों में नई ऊंचाइयां छुई हैं। उन्होंने कहा, "हम दोनों देशों के बीच संबंधों में इस गति को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं, ताकि हमारे लोगों को लाभ मिले और वैश्विक कल्याण को बढ़ावा मिले।" पीएम मोदी ने जो बाइडेन के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उनका योगदान एक स्थायी विरासत छोड़ेगा। साथ ही, पीएम मोदी ने बाइडेन और उनकी पत्नी डॉ. जिल बाइडेन को शुभकामनाएं दीं।

इस बीच, सुलिवन ने कहा कि अमेरिका उन नियमों को हटाने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है, जिनकी वजह से भारतीय और अमेरिकी कंपनियों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग में बाधाएं उत्पन्न हो रही थीं। इसके अलावा, मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजिम (MTCR) के तहत अमेरिकी मिसाइल एक्सपोर्ट कंट्रोल पॉलिसी में बदलाव किया जाएगा, जिससे भारत के साथ अमेरिकी वाणिज्यिक अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

अमेरिकी एनएसए सुलिवन ने भारतीय परमाणु संस्थाओं को सूची से हटाने के लिए अमेरिका के प्रयासों की घोषणा की, ताकि असैन्य परमाणु सहयोग और स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत किया जा सके। इसके साथ ही, बैठक में रक्षा, साइबर सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा की गई।

लेकिन इस मौके पर एक सवाल यह उठता है कि क्या बाइडेन भारत के साथ दोहरी नीति अपना रहे हैं? एक तरफ, बाइडेन की सरकार जॉर्ज सोरोस जैसे व्यक्तित्वों को सम्मानित कर रही है, जो भारत में मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए अरबों डॉलर देने की घोषणा करते हैं। वहीं, दूसरी तरफ, बाइडेन खुद पीएम मोदी से पत्र लिखकर दोनों देशों के रिश्तों को और गहरा करने की बात कर रहे हैं। क्या यह भारत-अमेरिका संबंधों की सच्चाई को छिपाने का प्रयास है या फिर बाइडेन अपनी नीति में बदलाव की योजना बना रहे हैं?

इसके अलावा, यह सवाल भी उठता है कि बाइडेन के शासन के दिन अब अधिक नहीं बचे हैं, क्योंकि 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले हैं। उसके बाद यह तय होगा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते किस दिशा में आगे बढ़ते हैं। हालांकि, बाइडेन की मौजूदा गतिविधियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि उनका रवैया संदेह से परे नहीं है।

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