नई दिल्ली: राष्ट्रिय राजधानी दिल्ली में कैंसर रोगियों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले गैंग का पर्दाफाश हुआ है। ये गैंग कैंसर की नकली दवाई बनाता था। अपराध शाखा ने गैंग में सम्मिलित 8 लोगों को गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस फिलहाल ये तहकीकात कर रही है कि इस गैंग में और कितने लोग काम कर रहे हैं तथा अब तक कितने लोगों को ये दवाइयां दी गई हैं। लाखों की दवाई सैंकड़ों में तैयार करने वाले इस गैंग में सम्मिलित अपराधी मेडिकल एवं IIT बैकग्राउंड से ही हैं तथा 2 आरोपी तो दिल्ली के नामी कैंसर हॉस्पिटल में 10 वर्षों से अधिक से काम कर रहे थे। पुलिस ने इनसे चार करोड़ की नकली दवाइयां तथा कैश के साथ-साथ अमेरिकी डॉलर भी बरामद किए हैं।
मोतीनगर स्थिति DLF कैपिटल ग्रीन्स हाई राइज सोसाइटी में कैंसर की लाइफ सेविंग दवाइयों के स्थान पर नकली दवाइयां भरकर सप्लाई करने का काम किया जा रहा था। मास्टरमाइंड विफिल जैन ने यहां किराए के 2 फ्लैट्स में मौत का लैब तैयार कर रखा था। नकली दवाई सप्लाई करने के इस गोरखधंधे में दिल्ली के नामी कैंसर हॉस्पिटल के 2 कर्मचारी भी सम्मिलित हैं। कोमल तिवारी एवं अभिनय कोहली दोनों फ़र्मासिस्ट हैं, जो राजीव गांधी कैंसर अस्पताल रोहिणी के साइटोटॉक्सिक ऐडमिक्सचर यूनिट में काम करते थे।
अस्पताल प्रशासन भी इस मामले का खुलासा होने के पश्चात् सकते में है। राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट की एमएस ने कहा है कि इस बारे में आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। दवाइयों की शीशियों को डिस्पोज करने का अपना सिस्टम है और अगर इसमें कोई गड़बड़ी कर रहा था तो इसकी भनक किसी को नहीं थी। इस नेक्सस में सम्मिलित एक और आरोपी परवेज राजीव गांधी कैंसर अस्पताल से सिर्फ कुछ ही दूरी पर डॉक्टर्स फार्मेसी नाम से मेडिकल स्टोर चलाता था। इस मेडिकल स्टोर में आरोपी कोमल तिवारी भी उसका पार्टनर था। चिकित्सालय से चुराई गई खाली या आधी भरी शीशियां इसी मेडिकल स्टोर पर पहुंचती थीं, जिसके पश्चात् ये तीनों उसे पांच पाँच हजार रुपये में विफिल को बेच देते थे। मेडिकल स्टोर की आड़ में यहां से भी नकली दवाइयों की सप्लाई की जाती थी।
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