अहमदाबाद: मोदी सरनेम से संबंधित मानहानि मामले में दी गई सजा के खिलाफ कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की याचिका पर गुजरात उच्च न्यायालय ने आज यानी शुक्रवार (7 जुलाई) की सुबह 11 बजे फैसला सुना दिया है। ये फैसला न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने सुनाया है। बता दें कि, राहुल गांधी को सूरत की अदालत ने दोषी करार देते हुए 23 मार्च को दो साल जेल की सजा सुनाई थी।
जिसके खिलाफ राहुल गांधी ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हालाँकि, हाई कोर्ट ने उनकी याचिका ख़ारिज कर दी है। उच्च न्यायालय ने मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया है। साथ ही अदालत ने राहुल गांधी की तरफ से सजा पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को भी खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहरया है। अब राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देंगे, यदि वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिलती है, तो राहुल 2024 और 2029 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
बता दें कि, दोषी ठहराए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता चली गई थी। सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने के बाद राहुल गांधी ने केरल के वायनाड में आरोप लगाते हुए कहा था कि केंद्र सरकार उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है, मगर वो डरने वाले नहीं हैं। राहुल गांधी की तरफ से कोर्ट में पेश हुए कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने गुजरात उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान अप्रैल में कहा था कि मोढ और तेली समेत कई लोग गुजरात में मोदी उपनाम लिखते हैं। राहुल के बयान को सबसे जोड़ना उचित नहीं है। याचिका दाखिल करने वाले का ये कहना कि देश के 13 करोड़ लोगों की मानहानि हुई है। अपने आप में ही मजाक है।
वहीं, इस मामले पर कोर्ट ने राहुल को सजा सुनाते हुए कहा था कि, एक सांसद होने के नाते उन्हें जिम्मेदारी के साथ बोलना चाहिए, क्योंकि उनके बयान बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करते हैं। इस पूरे मामले पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पार्टी के अन्य नेताओं ने दावा किया था कि राहुल गांधी ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का तिरस्कार किया है। ऐसे में उन्हें ओबीसी समाज से माफी मांगनी चाहिए। हालाँकि, राहुल गांधी ने माफ़ी मांगने से साफ इंकार कर दिया था, माना जाता है कि, उन्हें सजा मिलने के पीछे भी यही कारण रहा, क्योंकि मानहानि के अधिकतर मामले माफ़ी के साथ ख़त्म हो जाते हैं, मगर राहुल माफ़ी मांगने से बार-बार इंकार कर रहे थे।