गुवाहाटी: असम कैबिनेट ने बुधवार को फैसला लिया है कि सूबे में गोरखा समुदाय के सदस्यों के खिलाफ विदेशी न्यायाधिकरण (Foreigners Tribunals) में नया केस दर्ज नहीं किया जाएगा. असम सीएम हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में कैबिनेट की बैठक में इस समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दर्ज वर्तमान मामलों को भी वापस लेने का फैसला लिया गया है.
गोरखाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन के मुताबिक, असम में लगभग 25 लाख गोरखा हैं. समुदाय के तक़रीबन 22,000 लोगों को ‘संदिग्ध वोटर’ के रूप में चिह्नित किया गया है. लगभग एक लाख गोरखा अंतिम NRC सूची में जगह बनाने में नाकाम रहे. दरअसल ‘संदिग्ध वोटर’ असम में वोटर्स की एक श्रेणी है, जिन्हें नागरिकता की कमी के चलते मताधिकार से वंचित कर दिया गया है और चुनाव लड़ने और मतदान करने से रोक दिया गया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की 24 सितंबर, 2018 की नोटिस में कहा गया है कि 'गोरखा समुदाय जो संविधान की शुरुआत के वक़्त भारतीय नागरिक थे, या जो जन्म से भारतीय नागरिक हैं, या जिन्होंने पंजीकरण या देशीयकरण के मुताबिक, भारतीय नागरिकता प्राप्त की है. नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रावधान विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 2 (A) के साथ-साथ विदेशियों के पंजीकरण अधिनियम, 1939 के संदर्भ में “विदेशी” नहीं हैं, इसलिए ऐसे मामलों को विदेशी न्यायाधिकरण (Foreigners Tribunals) में नहीं भेजा जाएगा.
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