अहमदाबाद: गुजरात के मोरबी में रविवार (30 अक्टूबर) को हुए भयावह पुल हादसे में 141 लोगों की जान जाने से वकील वर्ग सदमे में है। पीड़ितों के परिवार वालों के प्रति अपनी संवेदना और एकजुटता दर्शाते हुए मोरबी के वकीलों ने आज यानी बुधवार (2 नवंबर) को एक मौन जुलूस निकाला। इस दौरान सभी वकीलों ने तय किया कि वे घटना में अब तक अरेस्ट किए गए सभी नौ आरोपियों में से किसी के भी केस नहीं लड़ेंगे। मोरबी की कोर्ट ने मामले में 4 आरोपियों को शनिवार तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया है, वहीं 5 को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
बता दें कि इन 9 आरोपियों में से 2 ओरेवा ग्रुप के हैं। ओरेवा ग्रुप बिजली उपकरण बनाने वाली गुजरात की एक स्थानीय कंपनी है। गुजराती नव वर्ष के दिन स्थानीय नगरपालिका को बगैर बताए मोरबी में कथित तौर पर सस्पेंशन ब्रिज खोलने के बाद ओरेवा ग्रुप जांच के दायरे में है। पुलिस हिरासत में रखे गये चारों आरोपियों में से दो ओरेवा कंपनी के प्रबंधक हैं और दो अन्य निर्माण ठेकेदार के लिए काम करने वाले हैं। मोरबी के वकीलों ने कहा कि इन नौ आरोपियों में से किसी के भी पक्ष से वे मुकदमा नहीं लड़ेंगे।
मोरबी बार एसोसिएशन के वरिष्ठ वकील एसी प्रजापति ने कहा कि, 'मोरबी बार एसोसिएशन और राजकोट बार एसोसिएशन ने यह प्रस्ताव पारित किया है।' उन्होंने कहा है कि, 'एसोसिएशन के सभी वकील त्रासदी से काफी दुखी हैं। नैतिकता के आधार पर यह फैसला लिया गया है। हम पुल गिरने में कई बेकसूर लोगों की मौत के बाद, अदालत में किसी भी आरोपी का प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे।'
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