सेंट्रल इनफार्मेशन कमीशन ने मंगलवार को नेशनल इन्फॉर्मेटिक सेंटर (NIC) से जवाब मांगा है कि जब आरोग्य सेतु ऐप के वेबसाइट पर उनका नाम है, तो फिर उनके पास ऐप के डेवलपमेंट को लेकर को डिटेल सामने नहीं आई? आयोग ने इस संबंध में कई चीफ पब्लिक इन्फॉर्मेशन अधिकारियों (CPIOs) सहित नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन (NeGD), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और NIC को कारण बताओ नोटिस भेजा है. उनसे नोटिस में सफाई मकई मांग कर रहे है कि उन्होंने करोड़ों लोगों द्वारा उपयोग की जा रही इस कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप को लेकर डाली गई एक RTI आवेदन का स्पष्ट जवाब क्यों नहीं दिया है? मिली जानकारी के अनुसार कोविड-19 के मध्य कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए उपयोग के लिए केंद्र सरकार की ओर से आरोग्य सेतु ऐप को बढ़ावा दे रहे है. अब चूंकि आरोग्य सेतु ऐप की वेबसाइट कहती है कि इसे नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर और आईटी विभाग ने डेवलप किया है, लेकिन इस ऐप को लेकर डाली गई एक RIT में दोनों ने कहा है कि उनके पास इसकी सूचना नहीं है कि इस ऐप को किसने डेवलप किया है.
अब सूचना निकाय ने सरकार के 'गोलमोल जवाब' पर नोटिस जारी किया है. जंहा आयोग ने कहा है कि 'अधिकारियों द्वारा सूचना देने से इनकार किए जाने को स्वीकार नहीं किया जाएगा.' वहीं इस बात का पता चला है कि सामाजिक कार्यकर्ता सौरव दास ने सूचना आयोग के पास शिकायत दी थी कि ऐप के डेवलपमेंट को लेकर कई विभाग स्पष्ट सूचना देने में असफल रहे थे. सूचना आयोग ने सभी संबंधित इकाइयों को कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछा है कि आखिर 'सूचना देने में रुकावट पैदा करने' और RIT आवेदन पर 'गोलमोल जवाब देने' के इलज़ाम में उनपर एक्शन क्यों न लिया जाए.
दास ने ऐप के शुरुआती प्रस्ताव, जिसको मिली मंजूरी की डिटेल्स, इस काम में मौजूदा कंपनियों, व्यक्ति और सरकारी मंत्रालयों को लेकर सूचना मांगी थी. उन्होंने ऐप डेवलपमेंट से जुड़े लोगों के मध्य हुए सूचना के आदान-प्रदान की प्रतियां भी मांगी थीं. हालांकि उनका आवेदन दो महीनों तक अलग-अलग सरकारी मंत्रालय के बीच घूमता रहा. जंहा यह भी कहा जा रहा यही कि NIC ने बार-बार कहा कि 'ऐप के क्रिएशन से जुड़ी पूरी फाइल सेंटर के पास नहीं है.' आईटी मंत्रालय ने फिर यह आरटीआई नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन को भेज दिया, जिसने कहा कि 'जो सूचना मांगी गई है, वो उनके विभाग से जुड़ा हुआ नहीं है.'
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