देश भर में 16 जनवरी से कोविड के टीकाकरण लगाना शुरू होने वाला है। इस दौरान यूपी से ऐसी खबर सामने आई जिसे सुनकर हर कोई हैरत में पड़ गया है। अयोध्या में वैक्सीन लगवाने वाले लाभार्थियों की सूची में बड़ी गड़बड़ी देखने को मिली है। स्वास्थ्य यंत्रालय द्वारा तैयार की गई लाभार्थियों की इस सूची में मृतक नर्स, रिटायर्ड नर्स और संविदा समाप्त होने वाले डॉक्टर्स के नाम भी दर्ज हैं।
कोरोना वैक्सीनेशन से पहले इतनी बड़ी गड़बड़ी सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय में हाहाकार मच गया है। उधर, योगी सरकार डैमेज कंट्रोल में लग चुकी है। अयोध्या पहुंचे राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जय प्रताप सिंह के सामने जब यह केस सामने आया तो उन्होंने आनन फानन में कार्रवाई करने का आदेश जारी कर दिया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस केस में लापरवाह कर्मचारियों पर एक्शन लिए जाने की बात भी कही गई है। उन्होंने बोला कि राज्य में डॉक्टरों की बेहद कमी है। यह संख्या अकेले डॉक्टरों की 8 से 10 हजार है। ऐसे में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा कि हालांकि, एक हजार डॉक्टरों को तैनाती की गई है।
गवर्नमेंट लापरवाही करने वालों पर एक्शन लेने की बात बोल रही है। लेकिन प्रश्न यह है कि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में यह गलती कैसे हो गई। वह भी महज तीन दिन के उपरांत यानी 16 जनवरी से जब देश सहित उत्तर प्रदेश में भी कोरोना वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू की जाने वाली है। शुरूआत में इतनी बड़ी लापरवाही बरती गई तो आगे क्या हो सकता है। प्रदेश के गरीबों को आखिर कैसे वैक्सीन मिल पाएगी? जंहा इस बात का पता चला है कि 16 जनवरी को देश के साथ यूपी के 852 सेंटरों पर कोरोना वायरस का टीका हेल्थ वर्करों को लगाया जाने वाला है, जिन्हें चिन्हित कर लिस्ट तैयार कर दी गई है। कोरोना वैक्सीन लगने के लिए लाभार्थियों की पहली सूची में स्वास्थ्य मंत्रालय और जरूरी सेवाओं से जुड़े कर्मचारी और अधिकारियों के नाम शामिल हैं।
देशभर के कोने- कोने में कोरोना वैक्सीन पहुंचाने का अभियान हुआ शुरू