पूर्व भारतीय क्रिकेटर तथा सिक्सर किंग युवराज सिंह ने अपने करियर से संबंधित कुछ गहरे राज से पर्दा हटाया है. उन्होंने कहा है कि 2014 टी20 विश्व कप के फाइनल में उन्होंने धीमी पारी क्यों खेली थी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि खिलाड़ियों को सपोर्ट मिलना बहुत आवश्यक है. बिना समर्थन के कुछ नहीं होता है.
दरअसल, भारतीय टीम ने टी20 विश्व कप का पहला खिताब 2007 में अपने नाम किया था. तब युवराज सिंह ने इंग्लैंड के खिलाफ एक ओवर में 6 छक्के लगाने का विश्व रिकॉर्ड कायम किया था. तत्पश्चात, भारतीय टीम 2014 टी20 विश्व कप के फाइनल तक पहुंची थी. जहां श्रीलंका ने 6 विकेट से पराजित किया था. इस मैच में युवराज ने 21 बॉल पर 11 रन की बेहद धीमी पारी खेली थी. तब उनकी खूब आलोचना हुई थी.
वही अपने एक इंटरव्यू में युवराज ने अपनी उस धीमी पारी के बारे में चर्चा करते हुए कहा, 2014 विश्व कप के चलते मुझमें आत्मविश्वास बहुत ही कम था. तब ऐसा माहौल था कि मुझे कभी भी टीम से बाहर किया जा सकता था. यह कोई बहाना नहीं है, किन्तु मुझे टीम में किसी से भी कोई समर्थन नहीं मिल रहा था. कोचिंग में भी गैरी कर्स्टन के वक़्त से अब मैं डंकन फ्लेचर के युग में आ गया था. टीम पूर्ण रूप से बदल चुकी थी. युवराज ने कहा, 'फाइनल में मैं बॉल को हिट नहीं कर पा रहा था. ऑफ स्पिनर पर भी हिट करने का प्रयास किया, किन्तु नहीं हो पा रहा था. आउट होने का भी प्रयास किया, किन्तु वह भी नहीं हुआ. तत्पश्चात, लोगों ने कहा कि मेरा करियर समाप्त हो गया है. मुझे भी ऐसा ही लगा था, किन्तु यह जीवन है. आपको हार-जीत और बाकी सबकुछ स्वीकार करना पड़ता है.' युवराज ने कहा, अगर आपको कोच तथा कप्तान से समर्थन मिलता है, तो इससे बहुत सहायता मिलती है. आप महेंद्र सिंह धोनी को ही देख लीजिए. वह अपने करियर के आखिर तक खेले. उन्हें विराट कोहली एवं रवि शास्त्री से बहुत सपोर्ट मिला. वे धोनी को विश्व कप (2019) में भी लेकर गए. धोनी ने 350 वनडे मैच खेले हैं. मेरा कहना है कि सपोर्ट बहुत अहमियत रखता है, किन्तु भारतीय टीम में हर किसी को यह नसीब नहीं होता है.
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