टाटा स्टील के कर्मचारी अब एक तय अवधि तक कंपनी में सेवा देने के पश्चात् नौकरी अपने बच्चों एवं आश्रितों को भी ट्रांसफर कर सकेंगे। इसके लिए कंपनी 'जॉब फॉर जॉब' योजना ला रही है। कंपनी वक़्त से पहले रिटायरमेंट लेनेवालों को आकर्षक फायदा प्रदान करने की योजना ESS (अर्ली सेपरेशन स्कीम) भी पेश कर रही है। इन दोनों योजना को मिलाकर कंपनी ने इसे 'सुनहरे भविष्य की योजना' का नाम दिया है तथा इसे आने वाले 1 नवंबर से लागू किया जाएगा। कंपनी के कर्मचारी एक साथ दोनों योजना का भी फायदा ले सकते हैं। कंपनी इसके लिए कामगारों के मध्य सर्कुलर प्रसारित कर रही है।
वही टाटा स्टील के ऑफिशियल सूत्रों से प्राप्त हुई खबर के मुताबिक, जॉब फॉर जॉब योजना के तहत कर्मचारी अपने पुत्र, पुत्री, दामाद अथवा किसी अन्य को आश्रित नामित कर अपनी नौकरी हस्तांतरित कर सकेंगे। आश्रित की बहाली पहले प्रशिक्षु के रूप में होगी। प्रशिक्षण के पश्चात् उन्हें एक परीक्षा देनी होगी। इसके पश्चात् ही उनकी सेवा स्थायी की जाएगी। परीक्षा में नाकाम आश्रित को नौकरी से वंचित होना पड़ सकता है।
साथ ही कंपनी के साढ़े बारह स्थायी कर्मियों में 3500 कर्मी ऐसे हैं, जिनकी आयु 52 वर्ष से ज्यादा है। जॉब फॉर जॉब योजना के तहत आश्रित को अपनी नौकरी ट्रांसफर करने के लिए न्यूनतम 52 साल की आयु अनिवार्य होगी, जबकि अर्ली सेपरेशन योजना मतलब ESS के तहत वैसे कर्मी लाभ उठा सकेंगे, जिनकी आयु कम से कम 45 साल है। ESS लेने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट की आयु सीमा तक बेसिक-डीए की रकम, मेडिकल सुविधा तथा ESS लेने के छह वर्ष पश्चात् तक या 58 वर्ष की आयु तक, जो पहले की अवधि होगी, क्वार्टर की सुविधा प्राप्त होती रहेगी।
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