बचपन से परिवार के बलिदान और संघर्ष देखती आई अन्नु ने जूनियर महिला एशिया कप में जब दनादन गोल दागे तो उसे यही मलाल अब तक रह गया है कि भूखे सोकर भी उसके सपने पूरे करने वाले उसके माता पिता उसे इतिहास रचते हुए नहीं देख पाए। इंडियन टीम ने जापान के काकामिगाहारा में चार बार की चैम्पियन दक्षिण कोरिया को फाइनल में 2-1 से हराकर पहली बार खिताब भी जीत लिया है।
बता दें कि अन्नु ने फाइनल में पहला गोल किया और पूरे टूर्नामेंट में सबसे अधिक नौ गोल करके दो बार ‘प्लेयर आफ द मैच' बनी। हरियाणा के जींद जिले के छोटे से गांव रोजखेड़ा की रहने वाली अन्नु ने बोला है, ‘मुझे यह दुख हमेशा रहेगा कि मेरे मम्मी पापा मैच नहीं देख पाए। उनके पास स्मार्टफोन नहीं था जिस पर लाइव स्ट्रीमिंग देख पाते। अब घर जाकर सबसे पहले उन्हें फोन दिलाना है ताकि आगे से ऐसा न हो पाए।'
अन्नु के परिवार में सिर्फ भाई ने मैच देखा जो हाल ही में सेना में भर्ती हो गया है। अपने परिवार के संघर्षों के बारे में इस होनहार खिलाड़ी ने इस बारें में बोला है कि ‘हमने बहुत बुरे दिन देखे हैं। पापा खेतों में मजदूरी करते तो कभी ईंट के भट्टे पर कार्य करते थे। मम्मी डिस्क की बीमारी से जंग लड़ रही थी। हम कई बार भूखे भी सोये हैं और मैदान पर खेलते समय माता पिता के ये सारे बलिदान मुझे याद अब भी है।'
इंडियन जूनियर हॉकी टीम ने उसी दिन खिताब जीता जिस दिन क्रिकेट टीम विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल में हार गई थी। ऐसा हमेशा नहीं होता कि क्रिकेट के मध्य हॉकी को मीडिया में अधिक तवज्जो मिले लेकिन उस दिन ऐसा हुआ। अन्नु ने इस बारें में बोला है कि, ‘इंडिया में तो सभी क्रिकेट को पसंद करते हैं और जूनियर हॉकी को तो उतनी पहचान भी नहीं मिलती लेकिन इस मैच ने एक दिन के लिए ही सही, नजारा पूरी तरह से बदल दिया है। पहले जूनियर लड़कों ने और अब पहली बार लड़कियों ने जीतकर इतिहास रचा। उम्मीद है कि सोच बदलेगी और लोग हमारे प्रदर्शन को भी सराहेंगे।'
सीनियर टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल और मौजूदा कप्तान सविता भी हरियाणा से हैं और कई रूढियों को तोड़कर इंडियन हॉकी की सुपरस्टार बनी। क्या परिवार को संघर्षों से निकालने का माध्यम उनके लिए हॉकी बनी, यह पूछने पर अन्नु ने बोला है, ‘मेरा हमेशा से यही मानना था कि मुझे कुछ करना है। मुझे अपने परिवार को अच्छी जिंदगी देनी है और देश का नाम भी रोशन करना है।'
उन्होंने वाला है, ‘जब भी हम कहीं जीतते थे तो जो नकद पुरस्कार मिलता था, वह मैं मम्मी पापा को देती थी। हम पर बहुत कर्ज चढ़ा हुआ था जो धीरे धीरे उतारा। हरियाणा टीम में आने पर प्रदेश गवर्नमेंट से भी पैसा मिलता है जो बहुत काम आया।' चौथी कक्षा से हॉकी खेल रही अन्नु ने बताया कि शुरूआत में उनके पिता को लोगों ने हतोत्साहित करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने परिस्थितियों से लड़कर उसे इस मुकाम तक पहुंचा दिया है।
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