अमरीका के महान मुक्केबाज रॉय जोंस जूनियर को लग रहा है कि ओलंपिक से मुक्केबाजी के बाहर किए जाने से इंडिया जैसे देशों में इस खेल में ‘नए सितारे खोजने' की उम्मीद कम होने वाली है क्योंकि उभरते हुए मुक्केबाजों पास आगे बढ़ने के लिए कोई दिशा नहीं होने वाली है। लास एजिंल्स 2028 ओलंपिक के लिए शुरूआती खेलों की लिस्ट में से मुक्केबाजी को बाहर रखा गया है जो कई देशों के लिए गहरा झटका है और यह निर्णय कई संचालन संबंधित मुद्दों की वजह से ले लिया गया था।
अपनी पीढ़ी के सबसे सफल मुक्केबाजों में से एक जोंस ने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) अध्यक्ष थॉमस बाक और आईओसी कार्यकारी समिति को एक खुला पत्र लिखा जिसमें उन्होंने उनसे इस माह के शुरू में मुक्केबाजी को बाहर किए जाने के संबंध में फैसले पर दोबारा विचार का अनुरोध कर दिया है। इस पत्र में 1988 ओलंपिक के रजत पदक विजेता ने बोला है कि मुक्केबाजी को ओलंपिक से बाहर करना ‘एक अपराध करने' की तरह ही होने वाला है।
जोंस ने इस बारें में कहा है कि, ‘इतने सारे बच्चे उम्मीद, फोकस और दिशा को खो सकते है। जरा देखिए ओलंपिक से कितने मुक्केबाजी सुपरस्टार बने हैं।' इंडिया में मुक्केबाजी सबसे लोकप्रिय ओलंपिक खेलों में से एक है और छह बार की विश्व चैम्पियन MC मैरीकॉम, बीजिंग ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता विजेंदर सिंह और अमित पंघाल ने देश में इस खेल को नई ऊंचाईयों तक पहुंचा दिया है।
अपनी बात को जारी रखते हुए उन्होंने कहा है कि, ‘इससे मुक्केबाजों और देशों को नया मुक्केबाजी स्टार मिलने की उम्मीद भी मिल रही है। ओलंपिक में मुक्केबाजी के नहीं होने से, यह उम्मीद कहां से आने वाली है?' IOC द्वारा संचालन संबंधित मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ को लगातार चेतावनी जारी किए जाने से मुक्केबाजी के ओलंपिक में शामिल किए जाने की उम्मीद भी कम ही दिखती है।
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