बिग बॉस से निकलने वाले सदस्य अक्सर इस गेम को लेकर नकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं फिलहाल शो की प्रतियोगी देवोलीना भट्टाचार्य का अनुभव काफी सकारात्मक है। बीते दिनों वह इस शो से बाहर हुई हैं। शो से निकलने की वजह उनका प्रदर्शन नहीं बल्कि उनका स्वास्थ्य है। हालांकि अगर उनकी तबियत में जल्द सुधार होता है तो वह फिर से शो का हिस्सा बन सकती हैं। घर से निकलने के बाद और आरंभिक चिकित्सा उपचार के बाद उन्होंने एक मिडिया रिपोर्टर से बिग बॉस के अपने अनुभव की यादें शेयर की।
घर से बाहर निकलने के बाद फिर से आपकी वापसी हुई लेकिन अब आपको खराब स्वास्थ्य के चलते बाहर होना पड़ रहा है, कितना अफसोस हो रहा है?
मुझे अफसोस तो नहीं है क्योंकि मैं तबियत खराब होने की वजह से शो से बाहर हो रही हूं। हालांकि मुझे बुरा जरूर लग रहा है क्योंकि बिग बॉस के घर में, मैं इतने लोगों को छोड़ कर आई हूं और मेरा सपना भी बीच में अधूरा छूट रहा है। मुझे अभी अपनी तबियत सही करनी है उसके बाद ही मैं आगे कुछ अच्छा कर पाऊंगी।
अगर आपको घर से बाहर नहीं जाना पड़ता तो आपको क्या लगता है विजता की ट्रॉफी आप अपने नाम कर पातीं?
शो से बाहर आने के बाद फिलहाल मुझे ऐसा ही लग रहा है कि मैं जीत चुकी हूं। दर्शकों से जितना प्यार, सपोर्ट और सम्मान मिला है उसकी मैंने उम्मीद नहीं की थी। अगर शो में मेरी वापसी होती है तब उस बारे में देखेंगे। परन्तु मैंने शुरू से ही कभी ट्रॉफी के बारे में नहीं सोचा था। मेरा मकसद सिर्फ लोगों के दिलों में जगह बनाने का था जिसमें मैं काफी हद तक कामयाब हुई हूं। मैंने जो मंजिल सोची थी वह मैंने हासिल की है। हालांकि कह सकते हैं कि अगर मैं ट्रॉफी जीत जाती तो वह सोने पर सुहागा होता।
बिग बॉस के घर का अब तक का आपका सफर कैसा रहा?
बिग बॉस का मेरा अब तक का सफर बहुत ही अच्छा रहा है। यहां मुझे जिंदगी भर के लिए यादगार अनुभव मिला है। आपको ऐसा अनुभव और कही नहीं मिल सकता है जहां आप महीनों तक अनजान लोगों के बीच रहते हैं जो अपने में ही अनोखा और दिलचस्प अनुभव है।
बिग बॉस के घर की ऐसी सकारात्मक चीजों के बारे में बताइए जो आपको दुनिया के बाहर नसीब नहीं हो सकती है?
घर में मेरे पास फोन नहीं था और इसी बात की मुझे सबसे अधिक खुशी। दरअसल मैं अपने फोन से काफी परेशान रहती हूं। वहीं दूसरी खास बात यह रही कि यहां अनजान लोगों के बीच रहने का मौका मिला। हम पहले से सोच लेते हैं कि ऐसे लोगों के साथ आपके अच्छे संबंध नहीं रह सकते हैं लेकिन होता इसका ठीक उल्टा है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि रश्मि और मेरी इतनी अच्छी दोस्ती हो जाएगी। आम धारणा भी है कि एक ही इंडस्ट्री की दो अभिनेत्रियों के बीच अच्छी दोस्ती नहीं हो सकती है हालांकि यह बात हमारे केस में गलत निकली।
सिद्वार्थ शुक्ला के साथ आपके रिश्ते कभी बनते तो कभी बिगड़ते नजर आए। क्या वजह रही इसकी?
शुरुआत में सिद्वार्थ और मेरे बीच अच्छी बातचीत रही मुझे लगा कि हम अच्छे दोस्त बने रह सकते हैं। हालांकि बाद में कुछ गलतफहमियों की वजह से दूरियां बन गईं। वह स्वभाव से घर के सबसे गुस्सैल सदस्य हैं और ऐसी बातें बोल जाते हैं जो दूसरों को बुरी लगती है हालांकि मुझे हमेशा से लगा कि वह दिल से बुरे नहीं हैं इसलिए मैंने उनसे रिश्ता सुधारने की कोशिश की। साथ ही उन्होंने मेरे बीमार रहने के दौरान मेरा ख्याल भी रखा था।
घर में सबसे अधिक दिमाग लगाकर और चालाकी से कौन खेल रहा है ?
घर के अंदर आप किसी भी योजना के साथ नहीं खेल सकते हैं क्योंकि यहां पर वह काम नहीं आती है। घर के अंदर परिस्थिति के मुताबिक प्रतिक्रिया देनी चाहिए। फिलहाल पारस की बात करें तो वह घर में सबसे ज्यादा चालाकी से योजना बना कर खेलने की कोशिश करता है लेकिन उसकी योजनाएं भी उसी की तरह फ्लॉप है। वह दूसरों के लिए खड्डा खोदता है और खुद उसी में फंस जाता है।
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