पटना: बिहार में दो सीटों पर उपचुनाव के परिणाम सामने आ गए हैं। इसके साथ-साथ चुनाव से पहले चल रही विभिन्न अटकलों, कयासों तथा राजनीतिक उलटफेर के कयासों पर भी विराम लग गया है। दोनों सीटें सत्ताधारी JDU ने अपने पास बरकरार रखी हैं तथा RJD के सपनों पर पानी फिर गया। JDU के लिए जीत कितनी अहम थी, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उपचुनाव के चलते सत्ताधारी दल ने यहां अपना पूरा जोर लगा दिया था।
वही RJD को भी मौजूदा विधानसभा के दलीय हालात के लिहाज से इन दो सीटों के परिणामों की अहमियत पता थी, यही कारण है कि तेजस्वी यादव ने भी इन दोनों सीटों पर ज़ोर आजमाइश करने में कोई कमी नहीं की। हालांकि परिणाम उनके पक्ष में नहीं रहे। वही अब जब विधानसभा उपचुनाव के नतीजे सामने आ गए है, तो प्रश्न ये उठ रहा है कि इन परिणामों का बिहार की राजनीती में फौरी तौर पर और दूरगामी क्या प्रभाव पड़ेगा। इसका पहला प्रभाव तो ये होगा कि JDU कार्यकर्ताओं तथा नेताओं का उत्साह बढ़ेगा।
वही विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के पश्चात् जिस प्रकार से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया था, उसमें इजाफा होगा। JDU सत्ताधारी गठबंधन में अपने हालात मजबूत रखेगी तथा विपक्ष के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी को भी ये संदेश देने में सफल रहेगी कि फिलहाल बिना नीतीश कुमार तथा JDU के बिहार की राजनीती का कोई भी ताना-बाना नहीं बुना जा सकता है।
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