पटना : सूर्योपासना का महापर्व छठ ना सिर्फ लोक आस्था का पर्व है, बल्कि इस पर्व में धर्मों के बीच की दूरियां भी मिट जाती हैं. बिहार में छठ पर्व के लिए जिस चूल्हे पर छठव्रती प्रसाद बनाती हैं, वह चूल्हा मुस्लिम परिवारों द्वारा बनाया हुआ होता है. इतना ही नहीं, कई जिलों में मुस्लिम महिलाएं भी छठ पर्व करती हैं. पटना के कई मुहल्ले की मुस्लिम महिलाएं छठ पर्व से एक हफ्ते पहले से ही छठ के लिए चूल्हा तैयार करने में जुट जाती हैं.
चूल्हा बनाने के लिए मिट्टी गंगा तट से लाई जाती है. इस मिट्टी से कंकड़-पत्थर निकालकर इसमें भूसा और पानी मिलाकर गूंथा जाता है. मिट्टी के इस लोंदे से चूल्हे तैयार किए जाते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि जिस मुस्लिम परिवार की महिलाएं ये चूल्हे बनाती हैं, उनके घर में एक माह पहले से ही मांस और लहसुन-प्याज का सेवन बंद कर दिया जाता है. उज्ज्वला योजना के बाद भी गांवों में मिट्टी के चूल्हे प्राय: सभी घरों में बनाकर रखे जाते हैं, किन्तु पटना में ऐसा नहीं होता. यहां के लोगों को छठ पर्व में मिट्टी का चूल्हा खरीदना पड़ता है.
पटना के वीरचंद पटेल मार्ग में मिट्टी के चूल्हे बनाकर बेचने वाली एक मुस्लिम महिला सनिजा खातून ने कहा कि, "मेरे ससुर भी यह काम किया करते थे. मेरे घर में यह काम 40 वर्षों से हो रहा है. ससुर के देहांत के बाद हमलोग छठ पर्व के लिए चूल्हे बनाते हैं." पटना के आर ब्लॉक मुहल्ले में रहने वाले महताब ने बताया कि इस बार चूल्हा बनाने वालों को मिट्टी जुटाने में बड़ी समस्या हुई, क्योंकि पुनपुन, गंगा और सोन नदी में बाढ़ के कारण मिट्टी आसानी से नहीं मिल पाई.
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