पटना: बिहार में सीएम नीतीश कुमार की लाख कोशिशों के बाद भ्रष्टाचार रुकने का नाम नही ले रहा है. सीएम नीतीश कुमार जिसपर भरोसा कर काम में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से जिम्मेवारी सौंपते हैं, वही अपने धंधे में लग जाता है. राज्य में महिलाओं के उत्थान हेतू शुरू कराये गये गैर सरकारी संस्था जीविका समूह पर भी अब भ्रष्टाचार के इल्जाम लगने लगे हैं.
यहां यह भी कहा जा सकता है कि सरकारी कार्य के लिए मिली जिम्मेदारी को जीविका समूह के लोगों द्वारा आजिविका का साधन बना लिया गया है. इसकी शिकायत बड़े स्तर पर सामने आने लगी है. लॉकडाउन के मद्देनज़र बिहार सरकार ने राशनकार्ड धारको को तीन महीने के लिए मुफ्त राशन देने और एक हजार रुपए देने के लिए ऐलान किया है. ऐसे में जिनके पास राशन कार्ड नही है, उन्हें जीविका समूह से सम्बंधित दीदी (महिलाओं) के रिपोर्ट पर राशन और एक हजार रूपये दिये जाने का फैसला लिया गया है.
वहीं, इस आपदा को देखते हुए जिनके पास राशन कार्ड नही है, उन्हें जल्द से जल्द राशन कार्ड बनवाने के लिए कहा गया है. किन्तु इन सभी कार्यों में लगाइ गई जीविका समूह की दीदियां अपने धंधे में जुट गई हैं. उनके द्वारा राशन कार्ड बनवाने के क्रम में इस काम के लिए वसूली किए जाने की ख़बरें सामने आने लगी हैं. ऐसी खबरें बिहार के कटिहार जिला सहित कई जिलों से प्रकाश में आई है.
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