पटना: बांग्लादेश की जेल में 11 वर्षों तक बंद रहे बिहार के सतीश चौधरी की गुरुवार को वतन वापसी हुई है. बांग्लादेश ने दर्शना-गेडे बॉर्डर पर उन्हें बीएसएफ के अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया. इस दौरान सतीश चौधरी के भाई मुकेश चौधरी भी वहां उपस्थित थे. सतीश की वतन वापसी की खबर के बाद से ही उनके गांव मनोरथा में जश्न मनाया जा रहा है.
सतीश की मां काला देवी अपने छोटे बेटे मुकेश को फोन कर हर गतिविधि को जानने की कोशिश करती रहीं. सतीश के दोनों बेटे और पत्नी भी बेहद प्रसन्न हैं. यह पूरा मामला दरभंगा जिला के अशोक पेपर मिल थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मनोरथा गांव का है. यहां काफी गरीब परिवार के रहने वाले सतीश चौधरी 2008 में अपने घर से बाहर मजदूरी करने के लिए निकले थे. सतीश का मानसिक संतुलन भी सही नहीं रहता था. पेशे से टेंट बनाने का कार्य करने वाले सतीश पटना तो पहुंचे, किन्तु उसके बाद उनकी कोई खबर नहीं मिली. सतीश के परिवार ने उनकी तलाश के लिए निरंतर प्रयास जारी रखे.
परिवार ने पटना पुलिस को भी इसकी जानकारी दी. काफी समय तक सतीश का कुछ पता नहीं चला, किन्तु परिवार की उम्मीद तब जगी जब 2012 में बांग्लादेश में सतीश के होने की जानकारी मिली. जिसके बाद में बांग्लादेश स्थित भारतीय दूतावास से सतीश की तस्वीरों के साथ फोन पर जानकारी मिली तो परिजनों की आँखों में ख़ुशी के आंसू झलक आए, फिलहाल सतीश भी अपने परिवार से मिलकर बेहद खुश है.
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