अपने ही हाथों से अपना आशियाना तोड़ने पर मजबूर हुए लोग, जानिए क्यों?

अपने ही हाथों से अपना आशियाना तोड़ने पर मजबूर हुए लोग, जानिए क्यों?
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पटना: कोरोना संकट के बीच ब‍िहार के गोपालगंज में गंडक का जलस्तर अवश्य कम हुआ है मगर व्यक्तियों की समस्यां कम नहीं हुई है। यहां पर गंडक के कटाव के कारण कई लोग अपने घरों को तोड़ने के लिए विवश हो गये हैं। गोपालगंज प्रखंड के जगरी टोला पंचायत के वार्ड नंबर 4 में बाबू जान अंसारी अपने घर को तोड़ रहे हैं। यह दो मंजिला आलीशान घर है जिसे 4 या 5 वर्ष पहले लाखों रुपये खर्च कर इस मकान का निर्माण कराया गया था मगर गंडक में आई बाढ़ ने सब कुछ नष्ट कर दिया है।

वही इस गांव के लोग बीते 10 दिनों से गंडक नदी में घिरे हुए थे। बाढ़ में यहां पर व्यक्तियों का रहना कठिन हो गया है। यहां न बिजली है न पीने का पानी, लिहाजा अब बाबूजान अंसारी के परिवार के लोग इस घर को तोड़ रहे हैं। तिनका-तिनका तथा एक-एक ईंट जोड़कर बनाया गया, यह घर अब टूट रहा है। घर का एक-एक ईंट बाहर निकाला जा रहा है जिससे वह कहीं और अपना मकान बना सकें।

साथ ही इस घर की एक-एक ईंट को लोग ऊंची जगह पर ले जाने का मन बना लिया है। इसे वजह बोले या विवशता कि बहुत श्रद्धा से बनाये गए मकान को अब तोड़ना पड़ रहा है मगर कहां जाएंगे, कहां रहेंगे। अब इसका ठिकाना उन्हें भी नहीं है। वार्ड नंबर 4 के बाबू जान अंसारी के अतिरिक्त भी कई व्यक्तियों ने अपने मकानों को छोड़ दिया है। वे बाढ़ के आने से पूर्व ही यहां से घरों को छोड़ पलायन कर गये है। यदि कुछ है तो घर या बाढ़ का फैला हुआ पानी या समीप गंडक नदी का तेज बहता हुआ जल की धारा। वही इस परेशानी ने लोगों के लिए एक विकट परिस्थिति उत्पन्न कर दी है जिससे निपटना बहुत मुश्किल है। 

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