पटना: बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने ऐसे अध्यापकों एवं कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उनका वेतन रोक दिया है जो आदतन विश्वविद्यालय या कॉलेजों में अनुपस्थित रहते हैं तथा बीते दिनों औचक निरीक्षण के चलते भी जो अनुपस्थित पाए गए थे। मिल रही खबर के अनुसार, शिक्षा विभाग ने मुजफ्फरपुर के बीआर अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के 630 अध्यापकों एवं कर्मचारियों, मधेपुरा के बीएन मंडल विश्वविद्यालय के 190 शिक्षकों कर्मचारियों तथा भोजपुर के वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के और कर्मचारियों को ड्यूटी पर उपस्थित नहीं रहने के कारण वेतन रोकने का फैसला लिया है।
गौरतलब है कि बीते दिनों शिक्षा विभाग में नए अतिरिक्त मुख्य सचिव के के पाठक की नियुक्ति की गई है जो स्वभाव से बहुत कड़क मिजाज के हैं। उन्होंने विभाग में अपना योगदान देते ही सबसे पहले बिहार के यूनिवर्सिटी एवं कॉलेजों में अनुपस्थित रहने वाले अध्यापकों एवं कर्मचारियों की सूची मांगी। सोमवार को ऐसे अध्यापकों एवं कर्मचारियों पर रिपोर्ट प्राप्त करने के पश्चात् उन्होंने सभी के वेतन को रोकने का निर्देश जारी किया है।
शिक्षा विभाग ने तकरीबन 1000 अध्यापकों एवं कर्मचारियों का वेतन रोकने का फैसला ऐसे वक़्त में लिया है, जब बीते दिनों राजभवन की तरफ से बिहार में ग्रेजुएशन की पढ़ाई 3 के बदले 4 वर्ष करने का निर्णय लिया गया है। राजभवन के ओर से दलील दी गई कि बिहार के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में आधारभूत संरचनाओं की भारी कमी है जिसके कारण ग्रेजुएशन कोर्स को अब 4 वर्षों में पूरा करने का फैसला किया गया है। हालांकि, राजभवन के ओर से जारी निर्देश का विरोध करते हुए प्रदेश सरकार ने दलील दी है कि बिहार सरकार अकादमिक सत्र को नियमित करने का प्रयास कर रही है।
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