पटना: बिहार में कोरोना टेस्टिंग के आंकड़ों में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। इस फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद एक सिविल सर्जन सहित कई पदाधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही पूरे सूबे में जांच के आदेश दे दिए गए हैं। वहीं विपक्ष का आरोप है कि कोरोना टेस्ट के नाम पर सत्ता संरक्षित घोटाला हुआ है।
बता दें कि बिहार में सवा दो करोड़ कोरोना जांच हो चुकी है। बिहार में आबादी के लिहाज से कोरोना जांच के इस आंकड़े को लेकर सरकार काफी वाहवाही लुट रही है। किन्तु अब इन आंकड़ों की वास्तविकता सामने आने लगी है। फिलहाल, केवल एक जिले जमुई में यह फर्जीवाड़ा सामने आया है। यदि कोरोना जांच की इस लिस्ट पर गौर करें तो कई नाम हैं, जिन्होंने कभी टेस्ट कराया ही नहीं, किसी का नाम, किसी का मोबाइल नंबर। हद तो ये है कि किसी का मोबाइल नंबर केवल जीरो जीरो। इस खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद खुली है और कुछ अधिकारियों पर एक्शन लिया गया है।
कोरोना के प्रारंभिक दिनों में कोरोना जांच की धीमी रफ्तार को लेकर बिहार सरकार कि जमकर किरकिरी हो रही थी। लिहाजा सरकार ने एक बडी एक स्वास्थ्य विभाग के दो प्रधान सचिवों को हटाया और नए आराधन सचिव को जांच के आंकड़े बढ़ाने का टास्क दिया गया और कुछ ही दिनों में बिहार पूरे देश में अव्वल हो गया। कुछ दिन पहले तक सीएम नितीश भी कोरोना टेस्टिंग के आंकड़े को अपनी बड़ी उपलब्धि बता रहे थे।
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