इस मंदिर में चढ़ती है बकरे की बलि, लेकिन फिर होता है ये चमत्कार

इस मंदिर में चढ़ती है बकरे की बलि, लेकिन फिर होता है ये चमत्कार
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कई जगह के बारे में आपने सुना होगा कि भगवान को भी किसी जीव की बलि दी जाती है . ऐसे ही एक और मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जहां बकरे की बलि तो दी जाती है लेकिन वो फिर से जिन्दा भी हो  जाता है. ऐसा ही कुछ चमत्कार होता है यहां जिसके बारे में आपको बताने जा रहे हैं. आइये जानते क्या रहस्य है इसका. यहां बकरे की बलि दी जाती है लेकिन उसकी मौत नहीं होती. यह मंदिर भारत में ही मौजूद है. 

दरअसल, बिहार के कैमूर जिले में मां मुंडेश्वरी का एक अनोखा मंदिर है. यहां बकरे की बलि दी जाती है लेकिन उसकी मौत नहीं होती. भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक मां मुंडेश्वरी का मंदिर बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर अंचल में कैमूर पर्वतश्रेणी की पवरा पहाड़ी पर 608 फीट ऊंचाई पर स्थित है. माना जाता है की ये मंदिर मां का सबसे पुराना मंदिर है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 108 ईस्वी में हुआ था. हालांकि इस मंदिर के निर्माण को लेकर बहुत सारी मान्यताएं है.

मंदिर में लगे भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के सूचनापट्ट से यह जानकारी मिलती है कि यह मंदिर 635 ईसवी से पूर्व अस्तित्व में था. जानकारी के लिए बता दें, इस मंदिर का उल्लेख प्रसिद्ध पुरातत्वविद कनिंघम की पुस्तक में भी है. स्थानीय लोगों के अनुसार इस मंदिर का पता तब चला, जब कुछ गड़रिये पहाड़ी के ऊपर गए और मंदिर के स्वरूप को देखा. यह मंदिर अष्टकोणीय है. मंदिर में मां मुंडेश्वरी की एक मूर्ति है और मूर्ति के सामने मुख्य द्वार की ओर एक प्राचीन शिवलिंग है.

इतना ही नहीं, यहां के लोगों ने बताया कि मंदिर में बकरे की बलि की प्रक्रिया बहुत अनूठी है. कहा जाता है की मंदिर में बकरे की बलि नहीं दी जाती. यहां बकरे को देवी के सामने लाया जाता है, जिस पर पुरोहित मंत्र वाले चावल छिड़कता है. जिससे वह बेहोश हो जाता है, फिर होश में आने के बाद उसे बाहर छोड़ दिया जाता है.

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