पटना: मुजफ्फरपुर के बालिका गृह को चलने वाली संस्था सेवा संकल्प एवं विकास समिति को यौन शोषण मामले के बाद एक और सरकारी प्रोजेक्ट दिए जाने की जानकारी सामने आई है. यह प्रोजेक्ट स्टेट वेलफेयर डिपार्टमेंट ने मुंबई की संस्था टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस द्वारा बालिका गृह में यौन शोषण की रिपोर्ट सौंपने के एक महीने बाद जारी किया गया है.
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सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि जिस दिन यौन शोषण के मामले में पुलिस ने FIR दर्ज की, उसी दिन एनजीओ को ये प्रोजेक्ट आवंटित किया गया. FIR में एनजीओ चलने वाले ब्रजेश ठाकुर सहित 11 लोगों के नाम शामिल हैं, जिसमे से अधिकांश आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है.
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आपको बता दें कि मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में 29 बच्चियों के यौन शोषण के मामला उजागर हुआ था, जिसके बाद बिहार सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए थे. साथ ही प्रशासन ने इसको चलाने वाली एनजीओ को ब्लैक लिस्ट कर दिया था और मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी. लेकिन इसी एनजीओ को हाल ही में मिले प्रोजेक्ट ने प्रशासन की लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल ये है कि जब सरकार ने ही इस एनजीओ को ब्लैक लिस्ट किया था तो फिर उसे प्रोजेक्ट किसकी स्वीकृति से दिया गया है.
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