पटना: बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर तैयारी अपने आखिरी पड़ाव पर हैं। प्रदेश में चुनाव को शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष कराने के लिए प्रदेश निर्वाचन आयोग ने तैयारी कर ली है। जिसको लेकर आयोग ने निरंतर गाइडलाइन जारी की हैं। चुनाव की घोषणा के पश्चात् अगले पांच वर्षों के लिए गांव की सरकार के गठन की कवायद भी आरम्भ हो गई है।
वही ऐसे में चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी हैं। इस गाइडलाइन में आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रचार के चलते किन-किन शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। आयोग के निर्देश के मुताबिक, यदि कोई भी प्रत्याशी धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर तमाम श्रेणियों के बीच दुश्मनी या घृणा फैलता है, तो उसे तीन से पांच साल की सजा हो सकती है। ये अपराध गैर जमानतीय व संज्ञेय अपराध की कैटेगरी में आता है।
वही इसके अतिरिक्त यदि कोई भी प्रत्याशी किसी भी अन्य प्रत्याशी की जिंदगी के ऐसे पहलुओं की आलोचना करता है, जिसकी सत्यता सिद्ध नहीं हो, तो उसे भी सजा हो सकती है। हालांकि यह अपराध जमानतीय है। जिसकी सबसे पहले सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष होगी। इसके अतिरिक्त निर्वाचन प्रचार के लिए मस्जिदों, गिरिजा घरों, मंदिरों, ठाकुरबाडिय़ों या अन्य पूजा स्थलों या धर्मस्थलों का इस्तेमाल करना। इसके अतिरिक्त जातीय या सांप्रदायिक भावनाओं की दुहाई देना भी गैर जमानतीय अपराध की कैटेगरी में है।
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