पटना: पूरे देश में छाये कोरोना संकट के बीच बिहार की लगभग दस करोड़ जनता भी लॉकडाउन के कारण घरों में कैद है। उनकी रक्षा से लेकर रोजमर्रा की जरूरतों तक में पुलिस प्रशासन ही सहारा है, किन्तु इन्हीं के बीच छिपे कुछ भेड़िये ऐसे भी हैं जो खाकी वर्दी पर बदनुमा दाग लगाने की फ़िराक में हैं। कहते हैं कि यदि किसी महकमे का मुखिया निष्पक्षता, निष्ठा और ईमानदारी से जनसेवा में जुटा हो तो ऐसे भेड़ियों की शामत आनी पक्की है।
ऐसा ही कुछ हुआ बिहार की राजधानी पटना में जहां कर्फ्यू के दौरान जरुरी वस्तुओं की आपूर्ति में जुटे एक व्यापारी से झड़प के बाद उसपर एक पुलिस वाले ने गोली दाग दी। घायल व्यापारी को अस्पताल में एडमिट कराया गया। जब इस मामले की सूचना डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय तक पहुंची तो उन्होंने व्यापारी की तलाशी में जुटे सभी पुलिसवालों को फौरन अरेस्ट करने के आदेश दिये। तीन पुलिसकर्मियों को अरेस्ट कर जेल भेज दिया गया और डीजीपी की सिफारिश पर उन्हें नौकरी से भी बर्खास्त कर दिया गया।
ये एक ऐसा कड़ा फैसला है जिसने आम नागरिकों और पुलिसकर्मियों दोनों को संदेश दिया। आम नागरिकों को अहसास हुआ कि पुलिस का मानवीय चेहरा साफ व बेदाग है और आवश्यकता पड़ने पर उनकी बात सर्वोच्च स्तर तक जायेगी। वहीं पुलिसकर्मियों को भी संदेश मिला कि किसी भी स्थिति में उन्हें ईमानदारी से आवाम के प्रति सेवा भाव रखना पड़ेगा क्योंकि किसी जुर्म पर किसी भी स्तर पर लीपापोती नहीं की जायेगी।
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