सिलेबस से जेपी लोहिया के विचार हटने से बढ़ा विवाद, जानिए क्या है मामला?

सिलेबस से जेपी लोहिया के विचार हटने से बढ़ा विवाद, जानिए क्या है मामला?
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पटना: जेपी यूनिवर्सिटी के सिलेबस से जेपी तथा लोहिया के विचारों को हटाने के आरोपों तथा विपक्ष की घेराबंदी के मध्य नीतीश सरकार बैकफुट पर दिखाई दी। बृहस्पतिवार को यूनिवर्सिटी के वीसी तथा रजिस्ट्रार को पटना सचिवालय तलब किया गया। कई घंटों की बैठक के पश्चात् स्वयं शिक्षा मंत्री विजय चौधरी मीडिया के समक्ष आये तथा बोला कि सिलेबस से जेपी एवं लोहिया के विचारों को सिलेबससे हटाने का निर्णय न केवल अनुचित है बल्कि इसमें सामान्य परंपरा का भी पालन नहीं किया गया।

वही शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने बताया कि यह स्थापित मान्यता है कि बिहार के विश्वविद्यालयों से जुड़ा कोई भी नियम, परिनियम, ऑर्डिनेंस (जिसमें पाठ्यक्रम भी सम्मिलित हैं) सरकार के बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद की सहमति के पश्चात् ही लागू किया जाता है। मगर इस केस में इसका पालन नहीं किया गया है जिसे सरकार ने बहुत गंभीरता से लिया है।

मंत्री ने कहा कि वर्ष 2018 में नई शिक्षा नीति के क्रम में सीबीसीएस के तहत चांसलर (राज्यपाल) के स्तर से एक समिति गठित की गई थी, जिसने पाठ्यक्रमों में संशोधन का प्रस्ताव दिया था। वो प्रस्ताव चांसलर के माध्यम से सभी विश्वविद्यालयों को भेजी गई। विश्वविद्यालय के स्तर पर उसकी समीक्षा होनी चाहिए थी, जो कि नहीं हुई। शिक्षा मंत्री ने बताया कि CBCS के तहत भी जेपी तथा लोहिया के विचारों को पाठ्यक्रम से बाहर किये जाने की बात उनकी समझ से बाहर है। बिहार में JP जनभावना से जुड़े हुए हैं, बिहार समाजवाद तथा साम्यवाद के पनपने की भूमि रही है।

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