पटना: पटना उच्च न्यायालय द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में बीएड-योग्य शिक्षकों की नियुक्ति को अमान्य ठहराए जाने के बाद, बिहार में लगभग 22,000 शिक्षकों को अपनी नौकरी खोने का खतरा है। इसके जवाब में नीतीश सरकार ने इन शिक्षकों को कुछ राहत की पेशकश की है। सरकार बीएड योग्यता वाले प्राथमिक शिक्षकों के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की तैयारी में है। राज्य सरकार जल्द ही उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की योजना बना रही है, और शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले में कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ले रहे हैं।
खबरों के मुताबिक, शिक्षा विभाग ने प्राथमिक विद्यालयों में बीएड डिग्री धारक शिक्षकों की रोजगार स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। विभाग ने इस संबंध में प्रारंभिक सहमति प्राप्त कर ली है और इसका लक्ष्य शिक्षकों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखना है। पटना हाई कोर्ट के फैसले के बाद अपनी नौकरी खतरे में पड़ने के बाद इन शिक्षकों को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट उन्हें राहत देगा। हालाँकि, यदि सुप्रीम कोर्ट उनके पक्ष में फैसला नहीं देता है, तो उनकी नियुक्तियाँ रद्द की जा सकती हैं।
गौरतलब है कि पटना हाई कोर्ट ने 6 दिसंबर को अपना फैसला सुनाते हुए प्राथमिक विद्यालयों में बीएड योग्यताधारी शिक्षकों की नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया था। कोर्ट ने नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) द्वारा जारी 2018 की अधिसूचना को गलत माना, जिसमें बीएड डिग्री धारकों को कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए पात्र माना गया था।
पटना उच्च न्यायालय ने अपने फैसले को सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश पर आधारित किया, जिसमें कहा गया था कि प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा (D.El.Ed) या समकक्ष डिप्लोमा वाले शिक्षकों को ही प्राथमिक कक्षाओं के लिए नियुक्त किया जा सकता है। ऐसे पदों के लिए बीएड डिग्री वाले अभ्यर्थियों को अयोग्य माना गया था। फिलहाल बिहार में करीब 22,000 बीएड डिग्रीधारी शिक्षक प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं।
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