खेलने-कूदने की आयु में 9 वर्ष की एक बच्ची संन्यासी हो गई है। उसके पिता की गिनती बड़े हीरा व्यापारियों में होती है। मूल तौर पर राजस्थान के सिरोही जिले के मालगांव की देवांशी धनेश संघवी के संन्यासी होने से सभी दंग हैं। खबर के अनुसार, आचार्य विजय कीर्तियशसूरि की सानिध्य में 18 जनवरी को सूरत में प्रातः 7 बजे संयम जीवन अंगीकार कर लिया। उसके पिता धनेश सांघवी हैं। वे मोहन संघवी के इकलौते बेटे हैं, जो संघवी एंड संस के पितामह हैं। उनका हीरे का बड़ा व्यापार है।
प्राप्त खबर के अनुसार, धनेश सांघवी की कंपनी संघवी एंड संस गुजरात की सबसे पुरानी हीरा बनाने वाली कंपनियों में मशहूर है। जिसकी दुनिया भर में ब्रांच हैं। देवांशी की बहन काव्या पांच वर्ष की हैं। देवांशी सांघवी ने 367 दीक्षा समारोहों में हिस्सा लिया था। तत्पश्चात, उसका मन संन्यास लेने के लिए प्रेरित हुआ। देवांशी ने 357 दीक्षा दर्शन, 500 किमी पैदल विहार, तीर्थों की यात्रा व जैन ग्रन्थों का वाचन किया है। यानी देवांशी के मन में वैराग्य की भावना पहले से ही थी।
देवांशी के पारिवारिक मित्रों ने बताया कि उसने कभी टेलीविज़न एवं फिल्में नहीं देखीं। कभी किसी रेस्तरां में नहीं गई। देवांशी संगीत में पारंगत है। इतना ही नहीं उसने स्केंटिग, भरतनाट्यम, योगा सीखा है। वह हिंदी एवं गुजराती के साथ ही संस्कृत, मारवाड़ी व अंग्रेजी भाषाएं जानती है।
सपा नेता की बेटी को भगा ले गया BJP नेता, मचा हड़कंप
रामचरितमानस विवाद पर आया CM नीतीश का ये बड़ा बयान
देर रात स्कूल के हॉस्टल से भागी 61 लड़कियां, अब सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम