नईदिल्ली। हालांकि भारतीय रेलवे में ग्रीन टाॅयलेट की बात चलने लगी है। अजी बात ही क्या चलने लगी है बल्कि रेलवे में तो ट्रेन के डिब्बों में पुराने तरीके के टाॅयलेट के स्थान पर ग्रीन टाॅयलेट लगाने प्रारंभ कर दिए गए हैं लेकिन, अब रेल नेटवर्क, दुर्गंध और शौचालय के सुव्यवस्थित तरीके से न बन पाने की परेशानियों को दूर करने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए रेल में बायो वैक्यूम टाॅयलेट लगाने पर ध्यान दिया जा रहा है।
इससे यात्रियों को सुविधा होगी वहीं सफर के दौरान डिब्बों में स्वच्छता होगी और पैसेंजर्स को दुर्गंध नहीं आएगी। यह टाॅयलेट कुछ उसी तरह का है जैस हवाई जहाज में होता है। इस मामले में अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि, राजधानी और शताब्दी जैसी महत्वपूर्ण रेल सेवाओं के 100 डिब्बों में इस तरह के टाॅयलेट्स का उपयोग होगा। इसके बाद अन्य सवारी या यात्री गाड़ियों में इस तरह के टाॅयलेट का प्रबंध किया जाएगा।
बायो वैक्यूम टाॅयलेट को काफी उन्नत माना जाता है। इनका उपयोग हवाई जहाजों में होता है। इस टाॅयलेट में 1 लीटर पानी की आवश्यकता होगी। सारा मल वैक्यूम द्वारा खींच लिया जाएगा। इन टाॅयलेट्स का कुछ रेल सेवाओं में पाॅयलट आधार पर परीक्षण किया गया था।
इनके उपयोग से रेलवे में पानी के उपयोग की बचत होगी तो दूसरी ओर दुर्गंध की परेशानी नहीं होगी। फिलहाल चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में बाॅयो वैक्यूम टाॅयलेट के माध्यम से 100 डिब्बे तैयार किए जाऐंगे। उन्हें राजधानी व शताब्दी आदि प्रीमियम रेलों में जोड़ा जाएगा।
स्टेशन डिज़ाईन करने पर मिलेंगे 10 लाख
रेलवे के इस कम ने बढ़ा दी यात्रियों की मुसीबत