नई दिल्ली: भारतीय क्रांतिकारी बिपिन चंद्र पाल का जन्म आज ही के दिन यानी 7 नवंबर1856 को हुआ था। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में अहम् भूमिका निर्वाह करने वाली लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में से एक विपिनचंद्र पाल राष्ट्रवादी नेता होने के साथ-साथ अध्यापक, पत्रकार, लेखक एवं वक्ता भी रहे. तथा उन्हें भारत में क्रांतिकारी विचारों का जनक भी कहा जाता है।
लाला लाजपत राय, बालगंगाधर तिलक और विपिनचन्द्र पाल (लाल-बाल-पाल) की इस तिकड़ी ने 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध अपना आंदोलन शुरू किया था, इतना ही नहीं इन्हे बड़े स्तर पर नागरिकों का समर्थन प्राप्त हुआ। 'गरम' विचारों के लिए लोकप्रिय इन नेताओं ने अपनी बात तत्कालीन विदेशी शासक तक पहुँचाने के लिए कई ऐसे ढंग अपनाए थे कि वह एकदम नए थे। इन तरीकों में ब्रिटेन में तैयार उत्पादों का बहिष्कार, मैनचेस्टर की मिलों में बने कपड़ों से परहेज, औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में हड़ताल आदि मौजूद है।
जहाँ इस बात का पता चला है कि विदेशी उत्पादों के कारण इंडिया की इकनोमिक खस्ताहाल हो रही थी तथा यहाँ के नागरिकों का कार्य भी छिन रहा था। उन्होंने अपने आंदोलन में इस विचार को सबके समक्ष रखा। राष्ट्रीय आंदोलन के चलते गरम धड़े के अभ्युदय को महत्वपूर्ण कहा जाता है क्योंकि इससे आंदोलन को एक नई दिशा मिली तथा इससे नागरिकों के मध्य जागरुकता बढ़ी। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान जागरुकता उत्पन्न करने में उनकी अहम भूमिका रही। उनका भरोसा था कि सिर्फ प्रेयर पीटिशन से स्वराज नहीं मिलने वाला है।
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