उदयपुर : शहर के कौतुहल से दूर एक जगह ऐसी भी है जिसे बर्ड विलेज यानी परिंदों का गांव कहा जाता है। यहां दूर-दूर तक तालाबों में तीन हजार किलोमीटर दूरी का फासला तय करके आए पक्षियों का जमावड़ा दिखता है। ठंड के मौसम की शुरुआत होते ही चीन, मंगोलिया, साइबेरिया और सेंट्रल एशिया से लेकर यूरोप तक के पक्षियों की प्रजाति पहुंचने लगती है।
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प्रवासी पक्षी भी आते है यहां
यहां पर्यटक जो पक्षियों को देखने के शौकीन हैं और अलग-अलग इनकी प्रजातियों को कैमरे में कैद करना चाहते हैं उनके लिए यहां की ट्रिप बेहतर विकल्प है।यहां के तालाबों में इन दिनों मध्य यूरोप,साईबेरिया, मध्य एशिया, मंगोलिया, तंजानिया, रशिया से आने वाले प्रवासी पक्षी हजारों की संख्या में देखे जा सकते हैं। मेनार में ऐसे कई तालाब हैं जहां इन दिनों परिंदों की चहक के साथ इनकी संख्या में भी इजाफा हाे रहा है।
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यह प्रजातियों की है यहां अधिकता
एक्सपर्ट्स की माने तो यहां हेडेड गूज, ब्राह्मणी डक, विजन, कॉमन पोचार्ड, शॉवलर, गेडवाल, टफटेल पोचार्ड, कॉमन टील, ब्लेक टेल गॉडविट, मार्श हेरियर, कॉमन क्रेन, रेड शेंक, सेंउ पाइपर, विस्कर्ड टर्न, सी गल, रिंग प्लॉवर सहित कई अन्य प्रजातियों के स्थानीय पक्षी भी देखे जा सकते हैं। साथ ही इस तालाब पर हर साल हजारों की संख्या में देश-विदेश से सैकड़ों प्रजातियों के पक्षी आते हैं।
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