देश के महान परमाणु वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा का जन्म आज ही के दिन 1909 को मुंबई के एक समृद्ध पारसी परिवार में हुआ था। उन्हें भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम का जनक भी माना जाता है। उन्होंने देश के परमाणु कार्यक्रम के भावी स्वरूप की मजबूत बुनियाद रखी, जिसके कारण भारत आज विश्व के मुख्य परमाणु संपन्न देशों की कतार में खड़ा है। उन्होंने JRD टाटा की मदद से मुंबई में ‘टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च’ की स्थापना की और साल 1945 में इसके डायरेक्टर बने।
देश के आजाद होने के बाद उन्होंने पूरे विश्व में रह रहे भारतीय वैज्ञानिकों से भारत लौटने की गुजारिश भी की थी। वर्ष 1948 में डॉक्टर भाभा ने भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना की और वैश्विक परमाणु उर्जा मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। होमी जहांगीर भाभा 'शांतिपूर्ण कार्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल’ के हिमायती थे। 60 के दशक में विकसित देशों का तर्क था कि परमाणु ऊर्जा संपन्न होने से पहले विकासशील देशों को दूसरे पहलुओं पर फोकस करना चाहिए। डॉक्टर भाभा ने इसका पुरजोर तरीके से खंडन किया और वह विकास कार्यों में परमाणु ऊर्जा के प्रयोग की वकालत करते थे। बहुमुखी प्रतिभा संपन्न डॉक्टर भाभा को नोबेल पुरस्कार विजेता सर सीवी रमन 'भारत का लियोनार्दो द विंची' कहते थे। भाभा न केवल महान वैज्ञानिक थे, बल्कि वह शास्त्रीय, संगीत, नृत्य और चित्रकला में गहरी दिलचस्पी रखते थे और इन कलाओं के अच्छे जानकार भी थे। डॉक्टर भाभा को 5 दफा भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, लेकिन विज्ञान की दुनिया का सबसे बड़ा सम्मान इस महान वैज्ञानिक को मिल नहीं सका।
हालांकि, उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण के अवॉर्ड से जरूर सम्मानित किया। अक्टूबर 1965 में भाभा ने ऑल इंडिया रेडियो से ऐलान किया था कि यदि उन्हें छूट मिले तो वे देश के लिए 18 महीनों में परमाणु बम बनाकर दिखा सकता है। वह मानते थे कि ऊर्जा, कृषि और मेडिसिन जैसे क्षेत्रों के लिए शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम प्रारंभ होने चाहिए। उन्होंने पंडित नेहरू को परमाणु आयोग की स्थापना के लिए सहमत भी किया था। डॉक्टर भाभा का निधन 24 जनवरी 1966 को एक विमान दुर्घटना में हुआ था। मुंबई से न्यू यॉर्क जा रहा एयर इंडिया का बोइंग 707 जनवरी 1966 में मॉन्ट ब्लां के निकट क्रैश हो गया था। इस दौरान विमान में सवार सभी 117 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमे डॉक्टर भाभा भी शामिल थे।
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