देश को आजादी कई कुर्बानियो और बलिदानो की कीमत पर मिली है . शहीदों और आजाद भारत का सपने देखने वाले लाखो क्रांतिकारियों की शहादत के दम पर आज हम आजाद भारत में जी रहे है . गुलामी की उन बेड़ियों को तोड़ने वालो में से एक थे महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाषचंद्र बोस. आज भारत माँ के इस वीर सपूत और आजाद हिन्द फौज के संस्थापक का जन्मदिन है. तो नेताजी के जन्मदिन के अवसर पर उनसे जुडी कुछ बातें, कुछ यादें इस सफर में आपके लिए .
उनका पूरा नाम सुभाषचंद्र जानकीनाथ बोस था. उनका जन्म 23 जनवरी 1897 में उड़ीसा के कटक में जानकीनाथ और प्रभावती देवी के घर हुआ. नेताजी ने 1919 में बी.ए. 1920 में आय.सी.एस. की शिक्षा ग्रहण की. सुभास चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के निडर, देशभक्त नेता थे. द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेज़ों के खिलाफ जापान की मदद से उन्होंने आज़ाद हिन्द फौज का निर्माण किया. उनके प्रेरणादायक भाषण ने युवाओ को क्रांति से जोड़ा. सुभाष चंद्र बोस, स्वामी विवेकानंद को बहुत मानते थे.“तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा” सुभाष चंद्र बोस का ये प्रसिद्ध नारा था. जर्मनी की सहायता लेते हुए जर्मन में ही विशेष भारतीय सैनिक कार्यालय की स्थापना बर्लिन में 1942 में की .
- 1920 के अंत ने नेताजी राष्ट्रिय युवा कांग्रेस के उग्र नेता थे एवं 1938 और 1939 को वे भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के अध्यक्ष बने. 1921 आजादी की लड़ाई के लिए नौकरी को ठोकर मारने वाले पहले आय.सी.एस. अधिकारी थे.
- 1940 में उन्हें ब्रिटेन ने हिरासत में ले लिया और 1941 में उन्हें जर्मनी ले जाया गया.
- इसी दौरान बोस पिता भी बने, उनकी पत्नी और सहयोगी एमिली स्किनल, जिनसे वे 1934 में मिले थे. उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया.
- 1941 में भेस बदलकर अग्रेजों के चंगुल से भाग निकले .काबुल के रास्ते से जर्मनी की राजधानी बर्लिन पहुंचे. इंडियन नेशनल आर्मी (INA) का पुनर्निर्माण किया.
- उन्होंने प्रसिद्ध भारतीय नारे “जय हिन्द” की घोषणा की.
- रंगून के ‘जुबली हॉल’ में सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिया गया वह भाषण सदैव के लिए इतिहास के पत्रों में अंकित हो गया. जिसमें उन्होंने कहा था कि- “स्वतंत्रता बलिदान चाहती है. आपने आज़ादी के लिए बहुत त्याग किया है. किन्तु अभी प्राणों की आहुति देना शेष है.आज़ादी को आज अपने शीश फूल चढ़ा देने वाले पागल पुजारियों की आवश्यकता है. ऐसे नौजवानों की आवश्यकता है. जो अपना सिर काट कर स्वाधीनता देवी को भेट चढ़ा सकें.“तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा.”
- नेताजी का ये वाक्य अमर वाक्य बन गया .
- उन्होंने आईएनए को ‘दिल्ली चलो’ का नारा भी दिया.
- उन्होंने देश से बाहर रहकर ‘स्वतंत्रता आंदोलन’ चलाया.
- जर्मनी में ‘आजाद हिंद रेडिओ केंद्र’ की शुरुआत की .
- ताइवान में हुए विमान अपघात में उनकी मृत्यु हो गयी थी. 18 अगस्त 1945 को यह हादसा हुआ था.
शहीदों की धरती अब डकैतों के नाम से सुर्खियों में- अखिलेश
कारगिल-हीरो ने किये पाक-चीन के साइबर हमले नाकाम
पाक के नापाक इरादे - साल में 771 मर्तबा वादाखिलाफी