कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) का आज अपना 44वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्हें कांग्रेस की दूसरी पीढ़ी के नेताओं में गिना जाता है। राहुल गांधी के खास इनर सर्किल के मेंबर माने जाने वाले सचिन पायलट ने केवल अपने पिता की सियासत को आगे बढ़ा रहे हैं, बल्कि उनके नाम के साथ लगे ‘पायलट’ शब्द को भी आगे बढ़ा रहे हैं। सचिन को ‘पायलट’ सरनेम अपने पिता राजेश पायलट से मिला है। वे अपना पूरा नाम सचिन राजेश पायलट लिखते हैं। बता दें कि राजेश पायलट का वास्तविक नाम राजेश्वर प्रसाद सिंह बिधूड़ी था, किन्तु सियासत में उन्हें राजेश पायलट के नाम से पहचान मिली, इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है।
दरअसल, राजेश्वर प्रसाद सिंह बिधूड़ी के राजेश पायलट बनने के पीछे की कहानी का जिक्र किताब ‘संजय गांधी, अपनी सबसे ताकतवर हैसियत में’ मिलता है। किताब के मुताबिक, राजेश पायलट ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी से मिलकर उत्तर प्रदेश के बागपत से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी, जो कि पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह की सीट मानी जाती थी। इंदिरा गांधी ने उन्हें उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने का अवसर तो नहीं दिया, किन्तु एक दिन उनके पास संजय गांधी के कार्यालय से फोन आया, जब वह वहां पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि आप राजस्थान के भरतपुर से पार्टी के प्रत्याशी चुने गए हैं। बता दें कि राजेश पायलट, सियासत में आने से पहले इंडियन एयरफोर्स में पायलट थे। जब वह प्रचार अभियान में उतरे, तो उनके लंबे नाम की जगह उन्हें ‘पायलट’ उपनाम से अधिक पहचाना जाने लगा।
धीरे धीरे वह इस नाम के साथ सहज होने लगे, जिसको देखते हुए नामांकन दायर होने से कुछ घंटों पहले संजय गांधी ने उन्हें राजेश पायलट नाम रखने की हिदायत दी। जिसको देखते हुए उन्होंने नामांकन के लिए दायर नोटरी में अपना नाम बदलवा दिया। इसके बाद से यही पायलट नाम उनका और उनके परिवार की पहचान बन गया। कांग्रेस नेता अपने पिता राजेश पायलट की तरह इंडियन एयरफोर्स में फाइटर पायलट ही बनना चाहते थे, उन्होंने प्रादेशिक सेना की प्रशिक्षण भी लिया और पिता से छिपकर विमान उड़ाने का लाइसेंस भी हासिल कर लिया था, किन्तु कमजोर आंखों के चलते वह इससे चूक गए थे।
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