नईदिल्ली। अब तक भाजपा और उसके विरोधी दल चुनाव प्रचार के दौरान शमशान और कब्रिस्तान को लेकर दिए जाने वाले बयानों पर आमने - सामने हुआ करते थे। मगर अब तो सरकारें एक कब्रिस्तान के मालिकाना हक को लेकर आमने - सामने हैं. जी हां, दिल्ली की राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच के क्षेत्र के करीब सौ वर्ष पुराने कब्रिस्तान को लेकर विवाद गहरा गया है। यह कब्रिस्तान मध्य दिल्ली में माता सुंदरी रोड़ क्षेत्र में है। यहां पर केंद्रीय आवास एवं शहरी मामले के मंत्रालय द्वारा अतिक्रमण हटाने का कार्य किया जा रहा है। तो दूसरी ओर दिल्ली की राज्य सरकार चाहती है कि यहां किसी तरह की कार्रवाई न हो, क्योंकि यह क्षेत्र राज्य सरकार की संपत्ती है।
अब दोनों सरकारों में विवाद गहरा गया है। इस मामले में जानकारी सामने आई है कि भूमि एवं विकास विभाग ने क्षेत्र में मौजूद कुछ मकान हटाने की कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। दूसरी ओर आप विधायक अमानतुल्ला खान ने बताया कि केन्द्र और राज्य सरकार के बीच कब्रिस्तान की जमीन पर मालिकाना हक को लेकर विवाद है. उन्होंने कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा राजस्व विभाग के दस्तावेजी रिकॉर्ड के हवाले से कब्रिस्तान की आठ बीघा जमीन पर बोर्ड का मालिकाना हक बताया गया है।
इस बारे में विभाग द्वारा बोर्ड को जारी नोटिस के जवाब में राज्य सरकार के राजस्व सचिव मनीष सक्सेना ने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक आठ बीघा क्षेत्रफल वाला यह कब्रिस्तान 1975 में अधिसूचित किया गया है. अधिसूचना में इसे सौ साल पुराना कब्रिस्तान बताते हुए कहा गया है कि इस अधिसूचना को अब तक किसी भी सक्षम न्यायाधिकरण में चुनौती नहीं दी गई है।
इसलिए वक्फ कानून के मुताबिक इस संपत्ति का मालिकाना हक दिल्ली वक्फ बोर्ड के पास है। जबकि केंद्र सरकार इस पर अपना मालिकाना हक बता रही है और केंद्रीय आवास एवं शहरी मसले के मंत्रालय द्वारा कार्रवाई करने की बात सामने आ रही है। यह कब्रिस्तान माता सुन्दरी रोड़ क्षेत्र में मौजूद है।
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