पटना। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के लिए 27 अगस्त की रैली बहुत अहम मानी जा रही है। दरअसल राजद भारतीय जनता पार्टी और जेडीयू की गठबंधन सरकार के ही साथ केंद्र की पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार का विरोध करने में लगी है। इस रैली को भाजपा भगाओ देश बचाओ का नाम दिया गया है। रैली के माध्यम से दो राजनीतिक दिशाऐं तय होंगी।
इस विरोध रैली के माध्यम से लालू प्रसाद यादव राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं तो दूसरी ओर राजद के युवा नेता तेजस्वी प्रसाद यादव अपने लिए राजनीतिक स्थिरता का निर्धारण कर सकते हैं। तेजस्वी यादव के लिए विपक्ष के एक कारगर नेता के तौर पर उभरने का अवसर होगा। गौरतलब है कि वर्ष 2010 में तेजस्वी यादव ने विधानसभा चुनाव में राजद के प्रचार से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत की थी।
वे क्रिकेटर के तौर पर चुनावी प्रचार टी शर्ट व जींस पहनकर किया करते थे। राजद का युवा चेहरा तेजस्वी प्रसाद यादव द्वारा महागठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री के ही साथ भवन निर्माण, पथ निर्माण व पिछड़ा और अति पिछड़ा कल्याण विभाग की कमान थामी थी। दरअसल केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की छापेमारी के ही बाद तेजस्वी यादव ने स्पष्टतौर पर कहा कि उनके विभाग में भ्रष्टाचार का कोई भी मामला नहीं है।
गौरतलब है कि 28 जुलाई को विधानसभ में लाए जाने वाले विश्वासमत प्रस्ताव पर विपक्ष के ही साथ सत्ता पक्ष का दिल जीत लिया गया था। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने 30 अगस्त 2015 को गांधी मैदान में आयोजित महागठबंधन की रैली में तेजस्वी को मंच पर उतारा था। हालांकि तेजस्वी राजनीतिक प्रदर्शनों और रैलियों का अनुभव रखते हैं लेकिन राजद के पास से सत्ता चले जाने के बाद अब विपक्षी नेता के तौर पर उनका विरोध प्रदर्शन बेहद महत्वपूर्ण होगा।
15 मई 2013 को गांधी मैदान में आयोजित की गई परिवर्तन रैली में तेजस्वी यादव ने अपने भाई तेज प्रताप यादव के साथ पैदल चलकर गांधी मैदान में विरोध किया था। गांधी मैदान में यादव बंधुओं ने जमकर विरोध किया। मिली जानकारी के अनुसार 27 जुलाई 2015 को लालू प्रसाद यादव ने बिहार में बंद की अपील की थी और अपने चुनाव चिन्ह लालटेन को लेकर तांगे की सवारी की थी।
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