नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर एक बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह दिल्ली के लोगों को मारने के लिए यमुना के पानी में जहर मिला रही है। केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट कर यह दावा किया और बीजेपी की हरियाणा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि दिल्ली को मिलने वाला पानी हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आता है, और हरियाणा सरकार जानबूझकर यमुना के पानी को जहरीला कर रही है।
केजरीवाल ने यह भी कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के इंजीनियरों ने समय रहते इस पानी को रोक दिया, जिससे एक बड़ा नरसंहार टल गया। उन्होंने दावा किया कि यह पानी इतना जहरीला था कि जल शोधन संयंत्र भी इसे साफ नहीं कर सकते थे। इसके चलते दिल्ली के एक तिहाई हिस्से में पानी की किल्लत हो गई है। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, “इतनी गंदी राजनीति देश ने आज तक नहीं देखी। अगर दिल्ली की जनता बीजेपी को वोट नहीं देती, तो क्या उसे ज़हर पिलाकर मार दोगे? जब तक मैं हूं, दिल्लीवालों को कोई नुकसान नहीं होने दूंगा।” हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और श्रम मंत्री अनिल विज ने केजरीवाल के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने इन आरोपों को झूठ और गंदी राजनीति करार दिया। अनिल विज ने कहा, “अरविंद केजरीवाल झूठ की फैक्ट्री हैं। अगर उन्हें लगता है कि यमुना का पानी जहरीला है, तो वे तथ्यों और वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ सामने आएं।” हरियाणा सरकार ने साफ कहा कि अगर केजरीवाल माफी नहीं मांगते, तो उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
दिल्ली जल बोर्ड ने भी एक बयान जारी कर केजरीवाल के दावों को खारिज कर दिया। जल बोर्ड ने कहा कि यह पूरी तरह से भ्रामक है और पानी की गुणवत्ता को लेकर नियमित निगरानी की जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यमुना का पानी पहले से ही कई जगहों पर प्रदूषित है, लेकिन यह कहना कि हरियाणा सरकार इसे जानबूझकर जहरीला बना रही है, एक गंभीर आरोप है, जिसे साबित करने के लिए ठोस सबूत चाहिए। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि केजरीवाल का यह आरोप उनके राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा हो सकता है। सौरभ दूबे, एक राजनीतिक विशेषज्ञ, कहते हैं, “इस तरह के बयान आमतौर पर तब दिए जाते हैं, जब कोई पार्टी खुद को कमजोर महसूस करती है। केजरीवाल को चाहिए कि अगर वे अपने दावों को लेकर गंभीर हैं, तो इस मामले को कोर्ट या जांच एजेंसियों के पास ले जाएं।”
अरविंद केजरीवाल का यह आरोप कई सवाल खड़े करता है। क्या वाकई किसी राज्य की सरकार दूसरे राज्य के पानी को जहरीला बना सकती है? अगर ऐसा है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। वहीं, अगर यह आरोप निराधार साबित होता है, तो यह दिल्ली और हरियाणा के बीच आपसी संबंधों को खराब करने वाला एक गैर-जिम्मेदाराना बयान माना जाएगा। यह मामला कितना सच और कितना राजनीति से प्रेरित है, इसका जवाब तब तक नहीं मिलेगा, जब तक कि इसकी निष्पक्ष जांच न हो। लेकिन एक राज्य सरकार पर इस तरह के गंभीर आरोप लगाने से पहले तथ्यों का होना जरूरी है। क्योंकि ऐसे आरोप न सिर्फ राजनीतिक माहौल को खराब करते हैं, बल्कि लोगों में दहशत भी फैलाते हैं।