बैंगलोर: कर्नाटक में वक्फ संपत्तियों का मामला विवाद का विषय बना हुआ है, और इस मुद्दे को लेकर राज्य में राजनीति गरमा गई है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्य सरकार के खिलाफ सोमवार को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी ने किसानों को भेजे गए नोटिसों को रद्द करने की मांग की है। बीजेपी के विरोध पर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि बीजेपी का यह विरोध केवल राजनीतिक लाभ के लिए है और यह मुद्दे की वास्तविकता से भटकाने की कोशिश है। सिद्धरमैया का कहना है कि बीजेपी अक्सर झूठे आरोप लगाकर राजनीति करती है।
मामला तब सामने आया जब राज्य के कुछ किसानों ने आरोप लगाया कि उनकी जमीनों को वक्फ संपत्ति घोषित किया जा रहा है, और उन्हें इस संबंध में सरकारी नोटिस भी मिले हैं। बीजेपी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस सरकार पर "जमीन जिहाद" का आरोप लगाया और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने पलटवार करते हुए कहा कि यह मुद्दा नया नहीं है और बीजेपी इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है। उन्होंने याद दिलाया कि बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी वक्फ संपत्तियों को लेकर कड़ी कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन अब सत्ता से बाहर होने के बाद वह केवल राजनीति कर रहे हैं।
सिद्धरमैया ने भरोसा दिलाया कि किसानों को उनकी जमीन से बेदखल नहीं किया जाएगा, चाहे उनकी धार्मिक पहचान कोई भी हो। उन्होंने यह भी कहा कि बिना पूर्व सूचना के भूमि रिकॉर्ड में हुए किसी भी बदलाव को रद्द किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि जब बीजेपी सत्ता में थी, तब किसानों को 216 नोटिस जारी किए गए थे, जिसमें बीएस येदियुरप्पा, डीवी सदानंद गौड़ा, जगदीश शेट्टार और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी के कार्यकाल भी शामिल थे।
सिद्धरमैया ने मैसूर के बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा पर भी निशाना साधा, जिन्होंने सीएम पर सांप्रदायिक आरोप लगाए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिम्हा का काम समाज को धर्म और जाति के आधार पर बांटना है, और उन्होंने सांसद पर संविधान और लोकतंत्र के प्रति सम्मान न रखने का आरोप लगाया।
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