इस समय भारत में भाषा को लेकर विवाद गहरा रहा है इस कड़ी में हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच भाजपा नेता पोन राधाकृष्णन ने कहा है कि तमिलियन होने के नेता मेरी इच्छा है कि हम अपनी भाषा का विकास करें. उन्होंने कहा कि यदि हम अपनी भाषा का दर्जा सुधारेंगे और इसका सभी राज्यों में प्रचार प्रसार करेंगे तो तमिल भी राष्ट्रीय भाषा बन सकती है. हालांकि अंत में यह भी कहा कि हमें संचार के लिए एक भाषा को स्वीकार करना ही होगा. राधाकृष्णन का उक्त बयान ऐसे वक्त में आया है जब तमिलनाडु में विपक्ष की ओर से हिंदी को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. हिंदी को लेकर अभिनेता से नेता बने कमल हासन भी बयान सामने आ चुका है. बीते दिनों एमएनएम नेता कमल हासन ने कहा था कि यदि भाषा को लेकर खींचतान होती है तो जल्लीकट्टू से भी बड़ा आंदोलन छिड़ जाएगा. इसके पहले भाजपा नेता राधाकृष्णन ने तमिल लोगों को 'कृतघ्न' बता दिया था.
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अपने बयान में इससे पहले अभिनेता से राजनेता बने रजनीकांत ने कहा था कि हिंदी हो या कोई और भाषा उसे जबरन नहीं थोपा जाना चाहिए. ऐसा होने से कोई भी दक्षिणी राज्य हिंदी भाषा को नहीं अपनाएगा. हालांकि, उन्होंने देश में एक सामान्य भाषा की वकालत की थी. उन्होंने कहा यह देश की एकता व विकास के लिए अच्छा है. दरअसल, शाह ने हिंदी दिवस के मौके पर कहा था कि आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है.
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देश की सियासत एकबार फिर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बयान पर गरमा गई थी. द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धरमैया सहित कई विपक्षी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी थीं. हालांकि, बाद में भाजपा अध्यक्ष ने साफ कर दिया था कि उन्होंने कभी भी हिंदी को क्षेत्रीय भाषाओं पर थोपने की बात नहीं की थी. मैंने तो हिंदी को दूसरी भाषा के तौर पर सीखने का अनुरोध किया था.
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