नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और हिंसा से सख्ती से निपटने के लिए मोदी सरकार के संकल्प को सत्ताधारी बीजेपी का भी समर्थन मिल गया है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार जो बंदूक उठाएंगे, उनको गोली लगने का खतरा तो रहेगा ही.
बता दें कि उक्त नेता ने कश्मीर में जारी तनाव में पत्थरबाजों को सभ्य समाज का हिस्सा नहीं मानते हुए हिंसा को बढ़ावा दे रहे अलगाववादियों से बातचीत की संभावनाओं को भी खारिज कर दिया. वरिष्ठ बीजेपी नेता की इस टिपण्णी से स्पष्ट है कि सरकार फिलहाल कोई राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल नहीं होकर 'बंदूक की नोक' पर बातचीत करने के दबाव में नहीं आएगी .बीजेपी को लगता है कि कश्मीर में हिंसक प्रदर्शन का मकसद आतंकवाद को बढ़ावा देना है. वहीं, सख्ती से निपटने के लिए केंद्र सरकार का संकल्प और मजबूत हुआ है.
गौरतलब है कि बीजेपी का ऐसा विचार है कि वर्तमान हालात में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करना मतलब अलगाववादियों के हाथों में खेलना है. जिन्हे घाटी में शांति कायम रखने से कोई मतलब नहीं है. इसका एक गलत सन्देश यह जाएगा कि सरकार आतंकियों और हिंसक प्रदर्शनकारियों के सामने झुक गई है. जबकि सरकार ऐसा नहीं चाहती.
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