नई दिल्ली: भाजपा के लोकसभा सांसद वरूण गांधी ने एक नई पुस्तक में अपने आप को ''मध्य-वाम मार्गी'' बताते हुए कहा है कि नैसर्गिक रूप से वह ''दक्षिणपंथी'' नहीं है. उनके लेख उनके 'लगातार प्रगतिशील और उदारपंथी' होने के दस्तावेज के तौर पर गवाही देते हैं. हाल ही में प्रकाशित किताब ''इंडिया टूमारो: कान्वर्सेशंस विथ द् नेक्स्ट जेनेरेशन ऑफ पॉलीटिकल लीडर्स'' में भाजपा सांसद ने वामपंथी धारा वाली आर्थिक और सामाजिक नीतियों की हिमायत करने वाले ब्रिटेन के जेरेमी कोर्बिन और अमेरिका के बर्नी सेंडर्स को अपनी सियासी प्रेरणा करार दिया था.
यह पुस्तक देश के 20 भावी पीढ़ी के मुख्य नेताओं के इंटरव्यू के मार्फत अपने पाठकों को समकालीन भारतीय सियासत की एक झलक प्रस्तुत करती है. किताब के लेखक प्रदीप छिब्बर और हर्ष शाह से साक्षात्कार में वरूण गांधी ने कहा कि, ''मैं समझता हूं कि अगर कोई विचारधारा या नीति के लिहाज से देखेगा तो मध्य-वाम मार्गी शख्स हूं. मैं नैसर्गिक रूप से दक्षिणपंथी नहीं हूं. यदि आपने विगत 10 वर्षों में मेरे लिखे सभी लेख पढ़े होंगे तो मेरा रिकार्ड निरंतर प्रगतिशील और उदारपंथी होने का रहा है. एक व्यक्ति के रूप में मैं अपनी अंतर्रात्मा की आवाज सुनते हुए बड़ा हुआ हूं. ''
आपको बता दें कि वरूण गांधी गांधी-नेहरू खानदान से ताल्लुक रखते हैं और स्वर्गीय संजय गांधी व भाजपा सांसद मेनका गांधी के बेटे हैं. वर्ष 2004 में वे भाजपा में आए थे. अपना पहला चुनाव उत्तर प्रदेश के पीलीभीत लोकसभा सीट से जीतकर वह 2009 में सदन में पहुंचे. संसद में अभी भी वे इसी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.
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