गांधीनगर : इशरत जहां एनकाउंटर मामले में आरोपी डीजीपी पीपी पांडे को लेकर गुजरात राज्य सरकार ने अपना जवाब सर्वोच्च न्यायालय के सामने प्रस्तुत किया। इस उत्तर में सरकार के पक्ष द्वारा कहा गया है कि सरकार जीजीपी पीपी पांडे को हटाएगी। गौरतलब है कि पांडे को केंद्र सरकार द्वारा 30 अप्रैल तक सेवा विस्तार प्रदान किया गया था। पांडे पर इशरत जहां एनकाउंटर मामले में कथित साजिश, अपहरण ओर हत्या के संदर्भ में आरोप है।
पीपी पांडे इस मामले के अन्य आरोपी पूर्व डीजी वंजारा के साथ जेल में रहे हैं। हालांकि वंजारा जमानत दे दी गई थी। दूसरी ओर पांडे के खिलाफ जो याचिका न्यायालय में लगाई गई थी उसमें कहा गया था कि सरकार इशरत जहां एनकाउंटर प्रकरण को किसी भी तरह से समाप्त करना चाहती है साथ ही पांडे को डीजीपी बनाने हेतु सरकार ने आदेश जानबूझकर दिया। यदि पांडे पद पर बने रहते हैं तो केस प्रभावित हो सकता है। ऐसे में उन्हें पद से हटाना जरूरी है।
गौरतलब है कि वर्ष 2013 में पांडे को सीबीआई ने पकड़ा था मगर फिर उनहें जमानत पर वर्ष 2015 में छोड़ दिया गया था। इसके बाद उन्हें एडीजीपी लाॅ एंड आॅर्डर बना दिया गया था। अब इशरत जहां मामले में याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि पांडे का पद पर बने रहना केस पर असर डाल सकता है।
दूसरी ओर डीजीपी पीपी पांडे ने भी सर्वोच्च न्यायालय में यह कहा है कि वे अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने इस मामले में एक पत्र दाखिल किया, जिसमें लिखा गया था कि वे पुलिस अधिकारी का अपना पद छोड़ना चाहते हैं। सरकार द्वारा कहा गया है कि पद छोड़ने का जो प्रस्ताव पांडे ने दिया है उसे सरकार ने मान लिया है। गौरतलब है कि इशरत जहां पर कथित तौर पर आतंकी संगठन से जुड़कर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह की हत्या का षडयंत्र रचने का आरोप था। ऐसे में इशरत एक एनकाउंटर में मारी गई थी। बताया जाता है कि वह एक काॅलेज छात्रा थी।
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